
BAR CLOSED
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश की जगन सरकार ने राज्य में चल रहे सभी बार के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। राज्य में चरणबद्ध तरीके से पूर्ण शराबबंदी को लेकर तीन दिन पहले सरकार ने 40 प्रतिशत बार बंद करने का निर्णय लिया था। राज्य सरकार प्रदेश में दो सालों के लिए नई बार नीति भी लेकर आई है, जो 1 जनवरी, 2020 के बाद से प्रभाव में आएगी। इस नीति के तहत, सरकार ने बार खोलने के लिए 10 लाख रुपये की फीस तय करते हुए लॉटरी सिस्टम से लाइसेंस देना तय किया है।
798 में से 40 फीसदी बार बंद
मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राज्य में मौजूद 798 बारों में से 40 प्रतिशत को बंद कर दिया जाए। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इसके उपभोग में कमी लाने के लिए शराब की कीमत बढ़ाने का भी प्रस्ताव पेश किया है।
1 अक्टूबर 2019 से नए नियम
आपको बता दें कि 1 अक्तूबर 2019 से शराब की दुकानें आंध्र प्रदेश बेवरेजस कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित जा रही हैं। राज्य में शराब की दुकानें 20 फ़ीसदी तक घटाई गई हैं। पहले इनकी संख्या 4,380 थी जो अब 3,500 हो चुकी हैं। वही शराब की दुकानों का समय सुबह 10 बजे से रात 11 बजे की जगह सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक करने का विचार है। इसके साथ ही 'परमिट रूम' सुविधा को भी हटा दिया गया है। सरकारी अधिकारी ने यह घोषणा की कि वे गांवों में सभी शराब की दुकानों को बंद कर चुके हैं। यहां तक कि शराब पर लगाए गए उत्पाद शुल्क को भी बढ़ाया गया।
बिहार में शराबबंदी से जेल में जगह की कमी
उधर बिहार राज्य में नए उत्पाद अधिनियम के लागू होने के बाद बड़ी संख्या में लोग शराब की तस्करी अथवा पीने के जुर्म में गिरफ्तार हो रहे हैं। अकेले पटना में प्रतिदिन 200 से अधिक लोगों को नए अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है। हालांकि इतनी ही संख्या में रोज विभिन्न न्यायालयों से कैदियों को जमानत भी मिल रही है। इससे जेलों में संतुलन बना हुआ है। कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किया है कि वो इस मसले को जल्द से जल्द निपटाने के लिए क्या कदम उठा रही है। आलम यह है कि शराब तस्करी और दूसरे कारणों से बिहार के जेल कैदियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अब कोर्ट को सामने आना पड़ रहा है।
Updated on:
24 Nov 2019 12:49 pm
Published on:
24 Nov 2019 12:48 pm
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