
Kharif Crops: चुनावी साल में झटका, महंगाई से फिर हो सकता है सामना, खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ी
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से हुए नुकसान और मानसून में देरी के कारण खरीफ फसलों की बुवाई में गिरावट आई है। बुवाई में गिरावट का असर उत्पादन पर पड़ेगा। अगर उत्पादन घटता है तो चुनावी साल में एक बार फिर खाद्य महंगाई सरकार की चिंता बढ़ा सकती है। अब तक पिछले सीजन से खरीफ फसलों की बुवाई में करीब 49 फीसदी कमी आई है। सबसे ज्यादा दलहन फसलों की बुवाई प्रभावित हुई है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि मानसून में देरी के कारण बुवाई में कमी आ रही है। वर्तमान में राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बुवाई काफी कम हुई है। हालांकि अभी खरीफ फसलों की बुवाई शुरुआती चरण में हैं। ऐसे में आगे अच्छी बारिश होने पर बुवाई में इजाफा होने की उम्मीद है।
49 फीसदी घटी खरीफ फसलों की कुल बुवाई
गुप्ता ने बताया कि 16 जून तक करीब 49.48 लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है। पिछली समान अवधि में यह आंकडा 97.84 लाख हेक्टेयर था। इस तरह खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल की तुलना में अब तक करीब 49 फीसदी कम हुई है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के रकबे में भी गिरावट दर्ज की गई है। अब तक करीब 5.32 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है, जो 15 फीसदी कम है।
दलहन में सबसे ज्यादा गिरावट
सबसे ज्यादा दलहन फसलों की बुवाई में कमी आई है। अब तक 1.80 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई की जा चुकी हैं, जो पिछली समान अवधि के दलहन रकबा 4.22 लाख हेक्टेयर से 57 फीसदी कम है। दलहन फसलों में मूंग की बुवाई 80 फीसदी, अरहर की बुवाई 64 फीसदी और उड़द की बुवाई 33 फीसदी घटी है। गुप्ता ने कहा कि अब तक 12.43 लाख हेक्टेयर में अनाज की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले समान अवधि में हुई 7.57 लाख हेक्टेयर से 64 फीसदी अधिक है। अनाज की बुवाई में वृद्धि की प्रमुख वजह बाजरा की बुवाई कई गुना बढ़ना है। अब तक 6.27 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जा चुका है।
Updated on:
18 Jun 2023 11:11 am
Published on:
18 Jun 2023 11:10 am
बड़ी खबरें
View Allअर्थव्यवस्था
कारोबार
ट्रेंडिंग
