
जीएसटी पर राहुल गाँधी को खुली बहस की कैट की चुनौती, GST को गब्बर सिंह टैक्स कहना गलत
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा लगातार जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहकर उसके कारण देश में हुई कथित बेरोजगारी का हवाला देकर वर्तमान जीएसटी को बदलने की बात कही जा रही है और देश को श्री गाँधी द्वारा गुमराह किया जा रहा है ! आज भी अपने एक ट्वीट में श्री राहुल गाँधी ने इस बात को दोहराया है और कहा है की इससे देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह बिगड़ी है ! श्री गाँधी के इस बयान का कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जोरदार प्रतिकार करते हुए कहा है की श्री गाँधी अपनी आदत के अनुसार बिना विषय को समझे अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं और यदि वो अपने बयान पर पूरी तरह आशवस्त हैं तो इस मुद्दे पर श्री गाँधी हमारे साथ एक सार्वजानिक बहस कर लें और यह तय हो जाए की जीएसटी एक अच्छी या ख़राब कर प्रणाली है ! केवल हवाई बातों से लोगों को गुमराह करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है ! ऐसा प्रतीत होता है की श्री गाँधी के लोगों ने उन्हें वर्तमान जीएसटी की वास्तविकता से अँधेरे में रख रखा है और राजनैतिक फायदे के लिए वो जीएसटी का राग अलाप रहे हैं ।
दे डाली खुली चुनौती
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने राहुल गाँधी को चुनौती देते हुए कहा की इस मुद्दे पर वो राहुल गाँधी के साथ एक सार्वजानिक बहस के लिए तैयार हैं और श्री गाँधी देश एवं व्यापारियों के हित में उन्हें हमारी चुनौती कबूल कर लेनी चाहिए । यह बहस किसी भी सार्वजनिक स्थल पर हो सकती है । खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी के वर्तमान स्वरुप से देश के व्यापारियों को काफी हद तक बड़ी राहत पहुंची है ! पहले व्यापारियों की दुकानों पर इंस्पेक्टरों का लगातार आना लगा रहता था लेकिन जब से जीएसटी देश में लगा है तब से अब तक कोई जीएसटी इंस्पेक्टर देश भर में किसी व्यापारी के यहाँ नहीं आया ! बिक्री कर दफ्तर में व्यापारियों का जाना बंद हो गया । पहले एक ही दस्तावेज़ को कई बार विभाग के पास जमा कराना पड़ता था लेकिन अब कागज़ समाम्प्त हो गए और सब कुछ ऑनलाइन हो गया ! बिक्री विभाग के एक बड़े भ्रष्टाचार से व्यापारियों को मुक्ति मिली है ! डेढ़ करोड़ रुपये तक की वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारी कम्पोजीशन स्कीम में आकर टैक्स के झंझट से मुक्ति पा सकते हैं । 40 लाख तक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी में पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है। अधिकतम वस्तुओं पर कर की दर कम हो गई है । अनेक फार्मों के स्थान पर अब केवल एक ही रिटर्न भरना होता है । इसके अतिरिक्त और भी अन्य लाभ हैं जो जीएसटी लगने के बाद व्यापारियों को मिले हैं ।
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वर्तमान GST प्रणाली को सरल करने की जरुरत
खंडेलवाल ने यह भी कहा की किन्तु अभी भी वर्तमान जीएसटी कर प्रणाली को और अधिक सरल करने की जरूरत है । मासिक के बजाय रिटर्न तिम्हाई भरी जाए । रिटर्न फार्म केवल एक सरल पृष्ठ का हो, विभिन्न कर की दरों में विसंगतियों को समाप्त किया जाए। 28 प्रतिशत के कर स्लैब की पुन:समीक्षा कर विलासिता की वस्तुओं को छोड़ कर अन्य वस्तुओं को निचली कर दर में लाया जाए । देश भर में व्यापार करने के लिए केवल एक ही जीएसटी नंबर हो और हर राज्य के लिए अलग अलग पंजीकरण न कराना पड़े ! रॉ मटेरियल की कर दर फिनिश्ड उत्पाद से ज्यादा न हो । पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए i इन विषयों को जीएसटी कॉउन्सिल और भविष्य की केंद्र सरकार एवं सभी राज्य सरकारों के सामने तर्कपूर्ण तरीके से रखा जाएगा जिससे इन विषयों का समावेश जीएसटी में हो जाए । खंडेलवाल ने कहा की श्री गाँधी ने घोषणा की है की वो वर्तमान जीएसटी के स्थान पर नया जीएसटी 2 .0 लाएंगे लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया की नए जीएसटी का स्वरुप क्या होगा ! क्या उन्होंने इस बारे में राज्यों की सहमति ले ली है क्योंकि जीएसटी कानून के अनुसार बिना राज्यों की सहमति के जीएसटी में कोई बदलाव नहीं हो सकता और राज्यों में उनके दल की सरकारें अल्पमत में है इसलिए कोई उनकी बायत को गंभीरता से नहीं लेगा।
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Updated on:
26 Apr 2019 04:44 pm
Published on:
26 Apr 2019 04:40 pm
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