
Despite flood Bihar, Kerala had lot of distributed free grain in july
नई दिल्ली। जब भी किसी भी राज्य में बाढ़ कुछ दूसरी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं तो वहां पर जनता को खाद्य सामग्री पहुंचाना काफी कठिन होता है। ऐसे में किसी योजना का लाभ पहुंचाना कितना मुश्किल होगा, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। लेकिन देश के दो राज्य ऐसे जहां पर जुलाई के महीने में बाढ़ का प्रकोप काफी भंयकर होने के बाद भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ( Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana ) के तहत लोगों को 60 फीसदी से ज्यदा मुफ्त अनाज बांटा है। वहीं देश में पंजाब ( Punjab ), वेस्ट बंगाल ( West Bengal ) और उत्तराखंड ( Uttrakhand ) जैसे बड़े राज्यों ने एक भी दाना अपने राज्य के गरीब लोगों में नहीं बांटा है। आइए आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर केरल और बिहार जैसे राज्यों ने बाढ़ से लड़ते हुए गरीब लोगों को कितना मुफ्त अनाज बांटा है।
बिहार और केरल में बाढ़ के बावजूद बंटा अनाज
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत बिहार और केरल में जुलाई के महीने में बाढ़ कर प्रकोप होने के बाद भी 60 फीसदी से ज्यादा मुफ्त अनाज बांटा गया। आंकड़ों के अनुसार बिहार में जुलाई के महीने में मुफ्त अनाज 63 फीसदी तक डिस्ट्रीब्यूट हुआ है, जबकि केरल में यह आंकड़ा 90 फीसदी तक पहुंचा है। बात असम की करें तो यहां भी बाढ़ आने के बाद भी 21 फीसदी मुफ्त अनाज बांटा गया है। पहले बिहार के आंकड़ों की बात करें तो 4,35,582 मिट्रिक टन बिहार को आवंटित किया गया, जिसमें सरकार की ओर से 95 फीसदी यानी 4,14,215 मिट्रिक टन अनाज उठाया गया। बिहार सरकार ने उसमें 63 फीसदी यानी 2,72,923 मिट्रिक टन बांट दिया। वहीं केरल में 77400 मिट्रिक टन अनाज केंद्र द्वारा ऐलोकेट किया गया था। जिसमें स्थानीय सरकार ने 90 फीसदी यानी 69,744 मिट्रिक टन अनाज गरीब लोगों में बांट दिया।
पंजाब और वेस्ट बंगाल ने नहीं बांटा एक भी दाना
जहां एक ओर बाढ़ प्रभावित राज्यों की ओर से खूब अनाज बांटा गया, वहीं दूसरी ओर वेस्ट बंगाल और पंजाब जैसे बड़े राज्यों की ओर से एक भी दाना वितरित नहीं किया गया। आंकड़ों के अनुसार पंजाब 70,725 मिट्रिक टन अनाज वितरित किया गया था। लेकिन उन्होंने उसे उठाया ही नहीं। जबकि वेस्ट बंगाल को 3,00,919 मिट्रिक टन अनाज ऐलोकेट किया गया था। जिसमें स्थानीय सरकार ने 2,99,379 मिट्रिक टन अनाज उठाया भी, लेकिन डिट्रिब्यूट नहीं किया। देश में इन दो राज्यों को मिलाकर कुल 11 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश हैं, जिन्होंने अपने लोगों को जुलाई के महीने में एक भी दाना नहीं बांटा।
देश में सिर्फ 62 फीसदी बंटा अनाज
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत जुलाई महीने के कोटे का करीब 24.94 लाख टन अनाज करीब 49.87 करोड़ लाभार्थियों के बीच बांटा गया है जोकि कुल आवंटित अनाज का 62 फीसदी है। जबकि देशभर में चालू महीने अगस्त में पीएमजीकेएवाई के तहत अब तक 1.45 करोड़ लाभार्थियों के बीच कुल 72,711 टन अनाज बंटा है जोकि आवंटित अनाज का महज 1.8 फीसदी है।
नवंबर तक बंटेगा इतना अनाज
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान के अनुसार जुलाई से लेकर नवंबर तक पीएमजीकेएवाई के तहत देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के 81 करोड़ लाभार्थियों के बीच कुल 201 लाख टन अनाज मुफ्त बांटा जाएगा। अनाज के अलावा करीब 19.4 करोड़ लाभार्थी परिवारों के बीच 12 लाख टन चने का भी वितरण किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री कहा इस योजना का शत-प्रतिशत वित्तीय भार भारत सरकार वहन कर रही है जोकि पीएमजीकेएवाई दूसरे चरण के पांच महीनों के दौरान करीब 76,062 करोड़ रुपए है।
ऐसे हुई थी योजना की शुरुआत
कोरोना महामारी से निपटने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन किए जाने पर केंद्र सरकार ने अप्रैल, मई और जून महीने के दौरान एनएफएसए के लाभार्थियों को मुफ्त अनाज और दाल मुहैया करवाने के लिए पीएमजीकेएवाई की शुरूआत की, जिसे बाद में जुलाई से नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया। इस योजना के तहत एनएसएसए के प्रत्येक लाभार्थी को पांच किलो अनाज और प्रत्येक लाभार्थी परिवार को एक किलो दाल देने का प्रावधान है, हालांकि पीएमजीकेएवाई के दूसरे चरण में प्रोसेस्ड दाल के बदले साबूत चना दिया जा रहा है।
Updated on:
09 Aug 2020 02:54 pm
Published on:
09 Aug 2020 12:23 pm
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