विश्व बैंक की रिपोर्ट
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में न सिर्फ लड़कियों के अशिक्षित होने से विश्व को होने वाले नुकसान के बारे में बताया है। बल्कि यह भी बताया है की दो तिहाई से भी कम लड़कियां अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर पाती हैं। वहीं तीन में से केवल एक लड़की माध्यमिक शिक्षा पूरी कर पाती है। स्कूली शिक्षा पूरी न होने के चलते लड़कियां जीवन के छह क्षेत्रों में पीछे रह जाती हैं। यह हैं- कमाई का जरिया और जीवन स्तर, विवाह का सही समय और गर्भधारण, परिवार नियोजन, स्वास्थ्य और पोषण, निर्णय लेने और सामाजिक पूंजी के क्षेत्र में।
दोगुना कमाती है शिक्षित महिलाएं
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं ने माध्यमिक शिक्षा पूरी की है वे उन महिलाओं से दो गुना या अधिक कमाती हैं, जिन्होंने बिल्कुल पढ़ाई नहीं की है। इतना ही नहीं जिन लड़किया ने अपनी स्कूली शिक्षा यानी की 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर रखी हैं वो अपने पुरुष साथी की हिंसा का कम शिकार बनती हैं।
150 से 300 खरब डॉलर का नुकसान
वर्ल्ड बैंक की चीफ एक्जिक्यूटिव क्रिस्टीना जियोर्जिवा के मुताबिक बिना लैंगिक समानता के दुनिया का विकास मुमकिन नहीं है। क्रिस्टीना जियोर्जिवा का यह भी मानना है की दुनिया में लैंगिक समानता न होने के कारण ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को 150 से 300 खरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
भारत का क्या है हाल ? अगर अब बात भारत में लड़कियों की शिक्षा की जाये तो गांवों में 100 में से सिर्फ 14 लड़कियां ही 12वीं तक की शिक्षा पूरी कर पाती हैं। वर्ल्ड बैंक की 2010 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में लड़कियों के स्कूलिंग औसत साल 4.1 और लड़कों को 6.1 तक हैं। वो राज्य जहां लड़कियां सबसे ज्यादा स्कूलों से दूर हैं। उनमें 9.7% के साथ राजस्थान, 9.9 के साथ यूपी और 8.5% के साथ मध्य प्रदेश शुमार हैं।