
नई दिल्ली: लॉकडाउन के टाइम को आगे बढ़ा दिया गया है लेकिन बढ़े हुए लॉकडाउन ( lockdown 2 ) में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें की जा रही है। इसी सिलसिले में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की । जैसी की उम्मीद की जा रही थी कि दोनों की इस मीटिंग का उद्देश्य दूसरे आर्थिक पैकेज पर चर्चा करना है। वहीं हुआ लेकिन खबर मिल रही है कि चूंकि अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करने के लिए बड़े पैकेज की जरूरत होगी इसलिए ये पैकेज एक साथ न देकर सरकार इसे कई चरणों में लाएगी। कार्पोरेट इंडिया की तरफ से आर्थिक पैकेज ( economic package ) की मांग काफी देनों से की जा रही है । हालांकि अभी भी ये नहीं कहा जा सकता कि सरकार दूसरा पैकेज कब पेश करेगी । फिलहाल पूरे देश की निगाहें इस पैकेज की राशि पर है क्योंकि कार्पोरेट इंडिया 9-10 लाख करोड़ के पैकेज की मांग को अलग-अलग मंचों से दोहराता रहा है ।
40 साल पीछे चली गई है इकोनॉमी- अर्थशास्त्रियों और मार्केट एक्पर्ट्स का कहना है कि 40 दिनों के लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था पूरे साल सुस्ती में रहेगी। 40 साल के बाद ऐसा होगा कि पूरे साल अर्थव्यवस्था कमजोर रहेगी।
इन सेक्टर्स को हुआ भारी नुकसान- कोरोना और लॉकडाउन के चलते एविएशन इंडस्ट्री, होटल एंड फूड, ट्रैवेल के अलावा कंस्ट्रक्शन और मैनुफैक्चरिंग को बेहद नुकसान हुआ है । इसके साथ ही ऑनलाइन स्टार्टअप जो फैशन या लग्जरी से जुड़े थे उनका काम भी lockdown की वजह से चौपट हो गया है।
1.7 लाख करोड़ का पैकेज दे चुकी है सरकार- इसके पहले सरकार कोरोना की मार से सबसे ज्यादा परेशान वर्ग यानि गरीब और पिछड़े लोगों के लिए पैकेज की घोषणा कर चुकी है। लेकिन इस पैकेज में भी ग्रामीण भारत में जॉब उत्पन्न करने के लिए सड़क निर्माण आदि को इजाजत मिल सकती है। जिन शहरी और कस्बाई इलाकों में कोरोनावायरस नहीं फैला है वहां सरकार ये काम शुरू कर सकती है। सरकार ने पहले ही गाइडलाइंस जारी करके खेती से जुड़े कामों की छूट दे दी है।
Updated on:
17 Apr 2020 07:26 am
Published on:
16 Apr 2020 02:24 pm
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