
नई दिल्ली। सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरेपोरेशन को बेचने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई की पॉलिसी मेकं बदलाव करने कर मन बना रही है। ताकि विदेयाी कंपनियों को भी देश की दूसरी सबसे बडऱ ऑयल कंपनी में ज्यादा शेयर खरीदने में हेल्प मिल सके। सरकार बीपीसीएल का निजीकरण कर रही है और वह कंपनी में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है।
इन कंपनियों ने दिखाई है दिलचस्पी
वेदांत समूह ने बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए लेटर ऑफ इंट्रस्ट दाखिल कर दिया है। जानकारी के अनुसार अन्य दो बोलीदाता वैश्विक फंड हैं, जिनमें एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है। इस बारे में एक प्रस्ताव पर विनिवेश विभाग (डीआईपीएएम), उद्योग विभाग (डीपीआईआईटी) और आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के बीच बातचीत चल रही है।
क्या है मौजूदा नियम
मौजूदा समय में पीएसयू द्वारा संचालित पेट्रोलियम रिफाइनिंग में स्वचालित मार्ग के माध्यम से केवल 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। ऐसा बिना किसी विनिवेश या मौजूदा पीएसयू की घरेलू इक्विटी को घटाए बिना ही किया जा सकता है। इस प्रावधान से कोई इंटरनेशनल प्लेयर बीपीसीएल में 49 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं खरीद पाएगा।
एफडीआई नीति में संशोधन करने का सुझाव
जानकारी के अनुसार डीआईपीएएम ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए मौजूदा एफडीआई नीति में संशोधन करने का सुझाव दिया है। दूसरी ओर उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस खास मामले के लिए अलग से एक प्रावधान करने का सुझाव दिया है।
Updated on:
28 May 2021 12:08 pm
Published on:
28 May 2021 12:05 pm
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