
Govt Explanation after GDP data, Economy down due to global reason
नई दिल्ली।सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ( Information and Broadcasting Minister Prakash Javadekar ) ने शनिवार को कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर जो कदम उठाए हैं उसके परिणाम दिख रहे हैं तथा सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) के आंकड़ों में दिख रही गिरावट वैश्विक कारणों से है। आपको बता दें कि शुक्रवार को ही दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े हैं। इन आंकड़ों के अनुसार देश की जीडीपी 26 तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई है। पिछली तिमाही में देश की जीडीपी 5 फीसदी रही थी।
सरकार ने लिए हैं कई बड़े फैसले
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के छह महीने पूरे होने के मौके पर जावडेकर ने यहां एक बैठक से इतर संवाददाताओं से कहा कि इन छह महीनों में देश तरक्की की ओर तेजी से आगे बढ़ा है। तेजी से बुनियादी ढांचों के विकास का काम हुआ है और सरकारी निवेश बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुस्ती जो दुनिया भर में है उसी का थोड़ा असर देश में भी दिख रहा है। लोगों के हाथों में पैसे का प्रवाह बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई बड़े निर्णय लिए हैं-बैंकों का विलय करना हो या बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने की बात हो, ढाई लाख करोड़ रुपए का कर्ज उद्योगों को देने का विशेष कार्यक्रम हो या एनसीएलटी में लंबित बहुत सारे मुद्दे सुलझाने की बात हो या फिर सरकारी उपक्रमों में विनिवेश की बात हो।
सबसे कम कॉरपोरेट टैक्स वाला देश
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सबसे कम कॉर्पोरेट कर वाला देश बन गया है जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। देश तरक्की के रास्ते पर बढ़ चला है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ''सरकार के काम का परिणाम जमीन पर भी दिख रहा है। तेजी से बुनियादी ढांचों का विकास हो रहा है।
दूसरी तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी
आपको बता दें कि शुक्रवार को दूसरी तिमाही के आर्थिक वृद्घि के आंकड़े सामने आए हैं। वस्तु उत्पादन, कृषि व खनन गतिविधियों में भारी कमी आने से देश की समग्र विकास दर (जीडीपी) सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 फीसदी हो गई है। यह लगातार पांचवीं तिमाही में गिरावट है और छह सालों में सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर है। 2018-19 की दूसरी तिमाही में वृद्धि 7 फीसदी पर रही। वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था उच्च जीएसटी दरों, कृषि संकट, वेतन में कमी और नकदी की कमी की वजह से 'मंदी' का सामना कर रही है। उपभोग में मंदी के रुझान को अर्थशास्त्री मंदी के तौर पर जिक्र करते हैं, जो कि जीडीपी विकास दर में लगातार गिरावट का प्रमुख कारण है। इसके परिणामस्वरूप ऑटोमोबाइल, पूंजीगत वस्तुएं, बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, एफएमसीजी और रियल एस्टेट सहित सभी प्रमुख सेक्टरों में भारी गिरावट आई है।
Updated on:
30 Nov 2019 03:57 pm
Published on:
30 Nov 2019 03:56 pm
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