
Govt of india eased basmati rice and non basmati rice export norms
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus Pandemic ) के माहौल के बीच केंद्र सरकार ( Government of India ) ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके बाद अब भारतीय बासमाती चावल ( Basmati Rice ) का स्वाद अब यूरोपीय देशों के लोग भी ले सकेंगे। जानकारी के अनुसार सरकार ने बासमती और गैर बासमती चावल ( Basmati And Non Basmati Rice Export Norms Ease ) को यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट करने की छूट दी है। वाणिज्य मंत्रालय ( Commerce Ministry ) की ओर से इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। भारत दुनिया में 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ दुनिया चौथा सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है।
भारत का चावल निर्यात होता है इतना
एपीडा के आंकड़ों को मानें तो वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 11 महीनों में भारत ने बासमती चावल का 38.36 लाख टन निर्यात किया था। जबकि उससे पहले यानी वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में चावल का निर्यात 38.55 लाख टन देखने को मिला था। वहीं बात गैर बासमती चावल के निर्यात की बात करें तो वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 11 महीनों में 46.56 लाख टन का हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में चावल का निर्यात 68.25 लाख टन देखने को मिला था।
दुनिया के इन इलाकों में है भारतीय बासमती की डिमांड
जानकारों की मानें तो भारतीय बासमती चावल की डिमांड सऊदी अरब, यमन, अमरीका और यूरोपीय देशों से लगातार आ रही है। कोरोना काल में भी इन देशों से आने वाली डिमांड काफी अच्छी देखने को मिली है। जिसकी वजह से कीमतों में भी सपोर्ट देखने को मिल रहा है। भारत से सबसे ज्यादा चावलों का इंपोर्ट ईरान करता है। ईरान में भारत के एक्सपोट्र्स का काफी रुपया फंसा हुआ है, जिसकी वजह से वहां पर एक्सपोर्ट नहीं कर रहा है।
कितना होता है ईरान में चावल एक्सपोर्ट
ऑल इंडिया राइस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के आंकड़ों की मानें तो 2018-19 में ईरान को भारत की ओर से 14.5 लाख टन बासमती चावल एक्सपोर्ट हुआ था। जानकारों की मानें तो कोरोना के चलते ईरान जाने वाले चावल पर इतना असर देखने को नहीं मिला है। वहीं दूसरे बाकी देशों में 75 से 80 लाख टन गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट किया जाता है।
Published on:
11 Aug 2020 04:24 pm
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