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जानिए जिनपिंग आैर डोनाल्ड ट्रंप के बीच चल रही ट्रेड वाॅर का भारत पर क्या होग असर

अभी बीते दिन ही चीनी कंपनी अलीबाबा के पूर्व चेयरमैन जैक मा ने कहा था कि अमरीका आैर चीन के बीच ट्रेड आने वाले 20 सालों तक चल सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भी यही कयास लगाए जा रहे हैं कि इस ट्रेड वाॅर से भारत पर बुरा असर पड़ेगा।

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ट्रेड वाॅरः जानिए जिनपिंग आैर डोनाल्ड ट्रंप की तल्खी से भारत पर क्या होग असर

नर्इ दिल्ली।ट्रेड वाॅर को लेकर दुनियाभर के आर्थिक विशेषज्ञों की एक आम राय होती है। सबका यही मानना होता है कि इससे दुनियाभर की अर्थव्यवथा पर बुरा असर पड़ेगा। अभी बीते दिन ही चीनी कंपनी अलीबाबा के पूर्व चेयरमैन जैक मा ने कहा था कि अमरीका आैर चीन के बीच ट्रेड आने वाले 20 सालों तक चल सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भी यही कयास लगाए जा रहे हैं कि इस ट्रेड वाॅर से भारत पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन इसी बीच अमरीकन इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी जेपी माॅर्गन ने कहा है कि ट्रेड वाॅर का असर का नुकसान की उम्मीद अभी से ही लगाया जा सकता है लेकिन भारत पर इसका प्रभाव नहीं होगा।


उभरती अर्थव्यवस्थाआें में भारत मजबूत
इस अमरीकन इन्वेस्टमेंट बैंक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाआें के अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया है आैर भारत का आधारभूत ढांचा भी मजबूत है। यही कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर ट्रेड वाॅर का कोर्इ खास असर नहीं देखने को मिलेगा। हालांकि दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाआें पर इसका खासा असर देखने को मिलेगा। लेकिन निवेशकों का सेंटीमेंट अभी भी साकारात्मक देखने रह सकता है। दरअसल अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि भारत, कनाडा आैर मेक्सिको के कर्इ सामानों पर अायात शुल्क लगाया था। इसका करारा जवाब देते हुए चीन ने भी अमरीकी सामानाें पर आयात शुल्क लगाया था। फिलहाल, ये ट्रेड वाॅर अमरीका आैर चीन के एक दूसरे पर आयात शुल्क लगाने तक ही सीमित है।


अमरीका चीन में भारत कम करता है निर्यात
जेपी माॅर्गन ने कहा कि, फिर भी ट्रेड वाॅर अपने चरम पर नहीं पहुंचा है लेकिन धीरे-धीरे हम एक एेसे स्तर पर पहुंच रहे हैं जब ये आैर व्यापक होगा। इससे एक बात तो तय है कि ये साकारात्मक नहीं है। मंगलवार को ट्रंप प्रशासन द्वारा 200 अरब डाॅलर के सामानों पर आयात शुल्क लगाने के बाद यूरोपियन बाजार में इसका असर देखने को मिला। इसी दौरान कर्इ विश्लेषकों को मानना है कि भारत पर इसका असर बहुत कम होगा क्योंकि भारत इन दोनों देशों के लिए बड़ा निर्यातक नहीं है। भविष्य में कुछ समस्याएं पैदा होती भी हैं तो भारत की मजबूत मैक्रोइकोनाॅमी इस झटके सोखने की क्षमता रखता है।