17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देश के 6 करोड़ लोगों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, अब से EPF पर मिलेगा ज्यादा ब्याज

ईपीएफ पर मिलेगा पहले से 0.10 फीसदी ज्यादा ब्याज ईपीएफ पर ब्याज की दर 8.65 फीसदी होगी

2 min read
Google source verification
EPFO

EPFO SSA admit card 2019

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी दी है। श्रम मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ पर 8.65 फीसदी के ब्याज दर को मंजूरी दे दी। सरकार के इस फैसले का लाभ देश के 6 करोड़ लोगों को होगा। पिछले सात महीनों से चल रहे गहन मंथन के बाद केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।


संतोष गंगवार ने दी जानकारी

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने इस संबध में जानकारी देते हुए कहा कि जल्द ही ब्याज की रकम सभी लोगों के खातों में क्रेडिट कर दी जाएगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने इस साल फरवरी में वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ पर 8.65 फीसदी ब्याज दर देने का फैसला किया था, लेकिन वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल पाने के कारण आज तक इसे सब्सक्राइबर्स के खातों में क्रेडिट नहीं किया जा सका था।


बढ़कर मिलेगा ब्याज

आपको बता दें कि अभी तक सरकार 8.55 फीसदी की दर से ब्याज देती थी, लेकिन सरकार से मंजूरी मिल जाने के बाद इश ब्याज की रकम बढ़कर 8.65 फीसदी हो गई है। तो अब से सभी लोगों को 8.65 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाएगा।


54,000 करोड़ रुपये किए जाएंगे क्रेडिट

इसके साथ ही गंगवार ने बयान में कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि श्रम मंत्रालय ने 2018-19 के लिए ईपीएफ पर 8.65 फीसदी की ब्याज दर को अधिसूचित कर दिया है। यह 2017-18 की तुलना में 0.10 फीसदी अधिक है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद छह करोड़ अंशधारकों के खातों में 2018-19 के लिए 8.65 फीसदी की ब्याज दर के हिसाब से 54,000 करोड़ रुपये डाले जाएंगे।


पहले इतना मिलता था ब्याज

फरवरी में ईपीएफओ की फैसले करने वाली शीर्ष इकाई सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) ने श्रम मंत्री की अगुवाई में 2018-19 के लिए ईपीएफ पर 8.65 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया था। तीन साल के बाद पहली बार ईपीएफ पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया गया था। इससे पहले ईपीएफओ ने 2016-17 के लिए ईपीएफओ पर ब्याज दर घटाकर 8.55 फीसदी कर दिया था, जोकि 2015-16 के लिए 8.80 फीसदी था।