
नई दिल्ली।कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की इकोनॉकी को बड़ा नुकसान है, लेकिन वल्र्ड बैंक से लेकर आईएमएफ तक सबसे ज्याा चर्चा भारत की करें रहे हैं। इसका सबसे बडा कारण ये है कि तमाम देशों की इकोनॉमी के अनुमान नेगेटिव की ओर जा रहे हैं जबकि भारत और कुछ चुनिंदा देश ऐसे हैं, जिनकी जीडीपी ग्रोथ अनुमान अभी तक पॉजिटिव है। वहीं दूसरी ओर देश के पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने बड़ा सा ब्लॉग लिखा है। जिसका टाइटल 'हाल के दिनों में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती' है। पूवर््आरबीआई गवर्नर ने इस ब्लॉक में कई अहम बातें और कुछ संभावित कदमों के बारे में जानकारी दी है। जिससे भारत इस महामंदी के दौर में अच्छे से सर्वाइव कर सकता है। उन्होंने मौजूदा स्थिति को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब बताया है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उन्होंने अपने ब्लॉग में क्या-क्या लिखा है।
जॉब्स पर संकट
रघुराम के अनुसार देश की इकोनॉमी को लेकर बात करें तो देश के सामने आजादी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 14 करोड़ नौकरियां पर खतरा है। 2008 के वित्तीय संकट के बाद भी देश उबरने में कामयाब इसलिए हुआ था क्योंकि देश के फाइनेंस सिस्टम काफी मजबूत था।
इकोनॉमी को करना होगा रिस्टार्ट
रघुराम राजन ने कहा, कोराना वायरस का असर खत्म होने के बाद प्लानिंग पर सरकार को अभी से काम करने की जरुरत है। वहीं अगर वायरस को नहीं हरा सके तो उसके बाद की प्लानिंग पर काम करना होगा। देश में ज्यादा समय तक लॉकडाउन होना भी काफी मुश्किल है। इस पर काफी विचार करने की जरुरत है कि देश आने वाले दिनों में किसी तरह की गतिविधियों को शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी रिस्टार्ट करने कके लिए वर्कप्लेस के पास फ्रेश और हेल्दी यूथ को हॉस्टल में रखा जा सकता है।
सप्लाई चेन को करना हो शुरू
राजन के अनुसार देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को दोबारा से शुरू करना होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन हो सके और स्पलाई चेन की शुरुआत की जा सके। इसके लिए सरकार को पूरी प्लानिंग के साथ काम करना होगा। वहीं गरीब और कामगार लोगों के बारे में भी सोचना होगा। उन्होंने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा कि जो सहायता हाउसहोल्ड को दी जा रही है, वो बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
ब्लॉग की अन्य प्रमुख बातें
- राजकोषीय घाटे पर कहा कि सीमित राजकोषीय संसाधन चिंता का विषय है। मौजूदा समय में सबसे अधिक जरूरी चीजों के इस्तेमााल को प्रायोरिटी मिलनी चाहिए।
- उन्होंने कहा कि अमरीका या यूरोपीय देश रेटिंग्स डाउनग्रेड केडर से अपनी जीडीपी 10 फीसदी का खर्च कर सकते हैं, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर सकता।
- रेटिंग्स डाउनग्रेड और इंवेस्टर्स का कॉन्फिडेंस गिरने से एक्सचेंज रेट लुढ़केगा और लंबी अवधि वाली ब्याज दरों में इजाफा होगा।
- उन्होंने एमएसएमई पर उन्होंने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से उद्योगों को सपोर्ट मिल सकता है।
- उन्होंने कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी की व्यवस्था कर दी है लेकिन अब उसे इससे भी आगे के कदम उठाने होंगे।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को उच्च क्वालिटी के कोलेटरल पर कर्ज देना होगा।
Updated on:
06 Apr 2020 07:47 am
Published on:
05 Apr 2020 07:38 pm
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