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तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का Special package संभव नहीं, आखिर क्यों?

कोरोना मद में इससे ज्यादा खर्च करने पर घट सकती है Rating Rating घटने से देश की Economy को होगा बड़ा नुकसान मंगलवार को Fitch Agency की ओर से भी दी गई भी चेतावनी

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Special package

Special package of more than 3 lakh crore rs is not possible, why?

नई दिल्ली। कोरोना वायरस लॉकडाउन 3 ( Coronavirus Lockdown 3 ) की घोषणा हो चुकी है। 17 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाया गया है। इस बार देश में लॉकडाउन की 3 कैटेगिरी हैं। सवाल ये है कि आखिर पहले चरण के लॉकडाउन के बाद दूसरे चरण का लॉकडाउन खत्म होने को है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से किसी बड़े स्पेशल पैकेज ( Special Package ) की घोषणा नहीं की है। ताज्जुब की बात तो ये है कि देश की इकोनॉमी में इस वक्त रुपया डालना काफी जरूरी है और देश की तमाम इंडस्ट्री ओर से सरकार पर लगातार दबाव भी बनाया जा रहा है। जानकारों की मानें तो सरकार कोरोना पर एक निश्चित राशि से ज्यादा खर्च नहीं कर सकती है। अगर करती है तो देश की रेटिंग में गिरावट आएगी और देश की इकोनॉमी को और नुकसान होगा। ऐसे में सरकार को एक बड़ा राहत पैकेज लाने में डर सता रहा है। आइए आपको भी बता सकते हैं कि आखिर सरकार के पास एक कितनी लिमिट बची है कि उससे ज्यादा खर्च करने पर नुकसान होगा।

आखिर कोरोना पर कितना खर्च कर सकती है सरकार
मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार सरकार कोरोना संबंधित खर्च की अधिकतम सीमा 60 अरब डॉलर यानी करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए तक की हो सकती है। इससे ज्यादा खर्च होने पर देश की इकोनॉमी को नुकसान की संभावना है। सूत्रों की मानें तो देश में पहला राहत पैकेज 1.7 लाख करोड़ का दिया जा चुका है, जो कि कुल जीडीपी का 0.80 फीसदी कके आसपास है। दूसरे राहत पैकेज के लिए पास कुल जीडीपी का सिर्फ 1.5 फीसदी से 2 फीसदी ही बचा है। इस तरह से सरकार सिर्फ 3 लाख करोड़ रुपए के रहात पैकेज की घोषणा कर सकती है।

रेटिंग पर बढ़ेगा दबाव
जानकारों के अनुसार दुनिया के सभी देशों की रेटिंग में गिरावट आनी शुरू हो गई है। विकसित और विकासशील देशों की रेटिंग को देखने और उसका आंकलन करने का तरीका थोड़ा अलग होता है। अगर बात भारत की करें तो बीते मंगलवार को रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा था कि अगर फिस्कल आउटलुक और ज्यादा खराब होता है तो रेटिंग पर दबाव आ जाएगा। मौजूदा समय में देश की इकोनॉमी रेटिंग के मामले में बिल्कुल किनारे पर है। अब लॉकडाउन भी 54 दिन का हो गया है। जिसमें टैक्स कलेक्शन पर भी काफी असर पड़ेगा। सरकार की ओर राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 फीसदी रखा था, जिसके कायम रहने की संभावना काफी कम लग रही है।

कहां हो सकता है खर्च
राहत पैकेज के तहत इस बार सरकार की प्राथमिकता उन लोगों पर होगी जिनकी लॉकडाउन की वजह से नौकरियां चली गई हैं। वहीं छोटी और बड़ी कंपनियों को टैक्स में राहत भी दी जा सकती है। जानकारों की मानें तो सरकार कुछ समय के लिए टैक्स हॉलिडे का ऐलान भी कर सकती है। ऐसा सभी के लिए भी संभव हो सकता है। इससे पहले सरकार की ओर से टैक्स में राहतेें दी गई थी। वैसे सरकार ओर आरबीआई ईएमआई पर मोरेटोरियम बढ़ाने पर भी विचार कर रह हैं। क्योंकि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि 17 मई के बाद स्थिति में सुधार होगा या नहीं। लॉकडाउन को खत्म किया जाएगा या नहीं?