
नर्इ दिल्ली। दवाआें के दाम को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टर्ंप भारत समेत कर्इ देशों को दर्द दे सकते हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मास्युटिकल्स कंपनियों को दवाइयों के दाम को ठीक करने का निर्देश दिया है। ट्रंप का कहना है कि इन दवाआें को अमरीका के शोध आैर विकास के खर्चे पर बनाया जा है। इसके बावजूद भी इन दवाअों को दूसरे देशो में बेहद कम कीमतों में बेचा जाता है, एेसा करना बिल्कुल ठीक नहीं है। ट्रंप के इस निर्देश के बाद यदि अमरीकी फार्मा कंपनियां दूसरे देशों को बेचे जाने वाले दवाआें का दाम बढ़ाती हैं तो इसका असर भारत में भी देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही ट्रंप के इस नीति को असर भारत-अमरीका के द्विपक्षीय संबंधो पर भी देखने को मिल सकता है।
दवाअों के कम कीमतों का बोझ अमरीकी लोग का उठाना पड़ता है - ट्रंप
डाेनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इस पर बोलते हुए कहा, "अगर हम अमरीका के लोगों के लिए अच्छा चाहते हैं तो हमें दूसरे देशों में भी दवाइयों की कीमतें सही करनी होगी। दूसरे देश बेहद कम कीमत पर अमरीका से दवाइयां लेते हैं आैर इसका बोझ यहां के लोगों पर पड़ता है।" ट्रंप ने आगे कहा, "कुछ मामलों में जो दवाइयां अन्य देशों में कुछ डाॅलर्स में ही मिल जाती है, अमरीका में उन्हीं दवाइयों के लिए सैकड़ो डाॅलर चुकाने पड़ते हैं।"
अमरीकी स्वास्थ्य मंत्री ने भी कही ये बात
इसके साथ ट्रंप ने कहा एक बार सबके लिए वैश्विक फ्रीलोडिंग खत्म करने की जरूरत है। ट्रंप के इस बयान के बाद अमरीकी स्वास्थ्य आैर मानवा सुरक्षा मंत्री एलेक्स जार ने कहा कि दूसरे देश अमरीका के मेहनत का फल उठा रहे हैं। अमरीकी प्रशासन ने 'अमरिकन पेशन्ट्स फर्स्ट' नाम से जो दस्तावेज जारी किया है उसमें लिख गया है कि जब भी कोर्इ देश कंम कीमत में दवाआें की मांग करता है तो दूसरे देश भी एेसी ही मांग रखते हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि एेसे प्राइस कंट्रोल दवा कंपनियों को मार्केट रेट पर बेचने से रोकता है। आैर जो भी देश इस नीति को लागू करता है उसे नए इलाज लागू करने में देरी हाे सकती है। अमरीकी लोग ब्रांडेड दवाआें के लिए अधिक कीमत चुकाते हैं।
Published on:
14 May 2018 08:54 am
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