
पकडऩे आएंगे तो मैं पहले ही बता दूंगा
नई दिल्ली। सरकार अगर राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन की गणना निर्धारित करने के लिए गठित समिति के प्रस्तावित मानदंडों को स्वीकार कर ले तो असंगठित क्षेत्र (अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर) में काम कर रहे लाखों श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दोगुनी से अधिक हो सकती है। इस फार्मूले से 176 रुपए प्रतिदिन की मौजूदा मजदूरी बढ़कर 375 रुपए प्रति दिन या प्रति माह 9,750 रुपए हो जाएगी।
ये है फार्मूला
वर्तमान में राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन अनुमानों के फार्मूले के अनुसार, प्रत्येक मजदूरी करने वाला तीन व्यक्तियों (उपभोग इकाइयों) का खर्च उठाता है। कपड़ों, दवाओं और परिवहन जैसे आवश्यक गैर-खाद्य पदार्थों को छोड़कर एक 'उपभोग इकाई' को प्रति दिन कम से कम 2,700 कैलोरी की आवश्यकता होती है। नए फार्मूले के अनुसार, प्रति घर 'उपभोग इकाइयों' की संख्या बढ़कर 3.6 हो गई है।
इनकी अध्यक्षता में तैयार हुर्इ रिपोर्ट
राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन तय करने की प्रणाली का निर्धारण करने वाली समिति की रिपोर्ट अनूप सत्पथी की अध्यक्षता में तैयार की गई है। सत्पथी वीवी गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान में फेलो हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इस तरह का एक राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन देश भर में लागू हो, चाहे वह भी क्षेत्र हो।
बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकेंगी
अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन की 2018 की रिपोर्ट बताती है कि 80 फीसदी से अधिक भारतीय श्रमिक अनौपचारिक नौकरियों में कार्यरत हैं। ये श्रमिक सभ्य मजदूरी और काम करने की स्थिति के बारे में बातचीत करने में असमर्थ हैं। इनके पास अक्सर कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं होता है। रिपोर्ट में नया फार्मूला श्रमिकों और उनके परिवारों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
40 करोड़ से ज्यादा असंगठित मजदूर
आपको बता दें कि देश में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की संख्या 40 करोड़ रुपए से ज्यादा है। जिनमें अधिकतर मजदूर रियल एस्टेट सेक्टर में काम करते हैैं। जिनमें महिला आैर पुरुषों के अलावा 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी हैं, जिन्हें गिना ही नहीं जाता है।
Published on:
11 Mar 2019 05:33 pm
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