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Career की उलझन और उम्मीदों के भार से डिप्रेशन में जा रहे छात्रों की चुप्पी तोड़ने की कोशिश, सामने आ रहे कई कारण

काउंसलिंग सेल में ऐसी पीड़ा... मेहनत के बाद भी प्लेसमेंट नहीं हुआ। पापा नाराज हैं, जो ब्रांच चाहिए थी वो नहीं मिली...

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Students (Symbolic AI Image)

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करियर की उलझन, मनचाही ब्रांच न मिलना, प्लेसमेंट में पिछड़ना और घरवालों की उम्मीदों के बोझ में घुट रहे युवाओं की अब चुप्पी टूट रही है। राजधानी के निजी विश्विविद्यालयों से लेकर मैनिट, ट्रिपल आइटी, एनएलआइयू और एम्स तक में काउंसलिंग सेल युवाओं को भावनात्मक रूप से मजबूत सहारा दे रही है। शैक्षणिक संस्थाओं में बढ़ी - आत्महत्या की घटनाओं को देखकर संस्थानों को समझ में आया कि न्युवाओं को सिर्फ डिग्री रहीं, भावनात्मक संबल भी चाहिए। इसलिए काउंसलिंग सेल बनाई गई।

छात्रों को Career की रहती है टेंशन


काउंसलिंग सेल में ऐसी पीड़ा… मेहनत के बाद भी प्लेसमेंट नहीं हुआ। पापा नाराज हैं, जो ब्रांच चाहिए थी वो नहीं मिली..ऐसे संवाद काउंसलिंग रूम में रोज सुनाई दे रही है। कई बार अभिभावक फोन कर कहते हैं, मेरा बेटा डिप्रेशन में है। प्लीज! उससे बात कीजिए, हमें डर है कहीं गलत कदम न उठा ले।

3000 छात्रों को दे रही समाधान


IIIT के प्लेसमेंट ऑफिसर अजय श्रीवास्तव ने बताया, काउंसलिंग सेल में सप्ताहभर में करीब 100 ऐसे केस आ चुके हैं। इनमें 80 विद्यार्थी प्लेसमेंट न मिलने या पैकेज कम मिलने से दुखी हैं। 10 पसंदीदा ब्रांच न मिलने से उदास हैं। वहीं मैनिट, आइसर और एनएलआइयू में बनी काउंसलिंग सेल में साल भर में ढाई से तीन हजार मामले आ रहे हैं। सेल उन्हें समाधान दे रही है।

एक्सपर्ट्स ने रखी अपनी राय


MANIT के स्टूडेंट वेलफेयर डीन ने बताया कि जिन विषयों को कभी पर्सनल कहकर नजरअंदाज करते थे। अब काउंसलिंग सेल उन पर काम कर रही है। युवा खुलकर बात कह रहे हैं। वहीं डॉ. अजीत पटेल, सचिव, निजी विवि संघ ने बताया कि छात्रों से बात करके उनकी दिक्कतों पर चर्चा करके उस समस्या का समाधान करते हैं।

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