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कौन हैं Banu Mushtaq, जिनकी शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन ‘Heart Lamp’ को मिला International Booker Prize

Banu Mushtaq एक प्रसिद्ध कन्नड़ लेखिका ही नहीं, एक वकील और महिला अधिकारों की पैरोकार भी हैं। उनका साहित्य मुख्य रूप से महिलाओं के अनुभवों, उनके संघर्षों और सामाजिक असमानताओं पर केंद्रित होता है।

भारतMay 21, 2025 / 04:03 pm

Anurag Animesh

Banu Mushtaq

Banu Mushtaq And Deepa Bhasthi, Photo/X

Who Is Banu Mushtaq: साहित्य के क्षेत्र से बहुत ही बड़ी और सुखद जानकारी सामने आई। कर्नाटक की जानी-मानी कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक(Banu Mushtaq) की लघुकथा “हार्ट लैंप(Heart Lamp)” को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार(International Booker Prize) से सम्मानित किया गया है। हार्ट लैंप के अंग्रेजी अनुवाद के लिए अनुवादक दीपा भस्थी को भी यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। यह पहली बार है जब किसी कन्नड़ भाषा की रचना को यह वैश्विक सम्मान मिला है। पुरस्कार की धनराशि GBP 50,000(तकरीबन 57 लाख रूपये) है, जिसे दोनों विजेताओं में बांटा जाएगा। पुरस्कार मिलने पर बानू ने भावुक प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह एक ही आकाश को रोशन करनेवालेहजारों जुगनूजैसा लगता है.. पूरी तरह से शानदान और सामूहिक।”

Banu Mushtaq: लेखन, कानून और समाज सेवा का संगम

77 वर्ष की उम्र में बानू मुश्ताक आज भी लेखन और सामाजिक बदलाव की मिसाल बनी हुई हैं। वह एक प्रसिद्ध कन्नड़ लेखिका ही नहीं, एक वकील और महिला अधिकारों की पैरोकार भी हैं। उनका साहित्य मुख्य रूप से महिलाओं के अनुभवों, उनके संघर्षों और सामाजिक असमानताओं पर केंद्रित होता है। “हार्ट लैंप” से पहले भी बानू की कई साहित्यिक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। वह “कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार” और “दाना चिंतामणि अत्तिमब्बे” जैसे सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। उनके लेखन में धर्म, समाज और राजनीति की उन जटिलताओं को उजागर किया गया है, जिनके जरिये महिलाओं से चुपचाप आज्ञाकारी बने रहने की उम्मीद की जाती है, और विरोध करने पर उन्हें दंडित भी किया जाता है।

Banu Mushtaq Booker Prize: लेखन की शुरुआत और साहित्यिक यात्रा

जानकारी के अनुसार बानू मुश्ताक ने अपने लेखन की शुरुआत स्कूली दिनों में ही कर दी थी, जब उन्होंने पहली लघुकहानी मिडिल स्कूल में लिखी। उनकी पहली चर्चित कहानी तब प्रकाशित हुई जब वह 26 वर्ष की थीं, जो लोकप्रिय कन्नड़ पत्रिका “प्रजामाता” में छपी थी। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई महत्वपूर्ण किताबें और कृतियां साहित्य को दीं।

आंदोलनों से जुड़ाव और लेखन की प्रेरणा

बानू के साहित्य पर कर्नाटक के प्रगतिशील आंदोलनों का गहरा प्रभाव रहा है। उन्होंने विभिन्न राज्यों की यात्राएं कीं और इस दौरान “बंदया साहित्य आंदोलन” से भी जुड़ीं। यह आंदोलन जातिगत और वर्गीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने वालों का समर्थन करता रहा है। बानू का लेखन सामाजिक चेतना और बदलाव की भावना से प्रेरित रहा है। हार्ट लैंप के अलावा बानू छह लघुकहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह की लेखिका हैं। उनकी रचनाएं न सिर्फ साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध हैं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी गहरा असर छोड़ती हैं।

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