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Board Exam: शॉर्ट अटेंडेंस वाले स्टूडेंट नहीं बैठ पाएंगे एग्जाम में

Board Exam: डमी स्कूलों पर सख्ती के लिए सीबीएसई ने मांगी अटेंडेंस, डिजीटल अटेंडेंस का नियम आ सकता है

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जयपुर

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Sunil Sharma

Jan 11, 2020

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CBSE Board Exam

Board Exam: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सैकंडरी एजुकेशन (CBSE) ने देशभर की स्कूलों से पहली बार शॉर्ट अडेंटेंस वाले स्टूडेंट्स का डेटा मांगा है। स्कूल्स को 5 जनवरी तक 10वीं और 12वीं क्लास के ऐसे स्टूडेंट्स की अटेंडेंस रिपोर्ट भेजनी थी, जिनकी सालभर की अटेंडेंस 75 परसेंट से कम है। ऐसा बोर्ड ने डमी स्कूलों पर लगाम करने के मकसद से किया गया था। सबसे हैरानी की बात है कि शहर की सीबीएसई एफिलिएटेड किसी स्कूल ने बोर्ड के साथ ऐसे स्टूडेंट का डेटा शेयर नहीं किया है, जिसकी अटेंडेंस 75 परसेंट से कम हो। स्कूल्स के अनुसार, सभी स्टूडेंट्स की अटेंडेंस 75 परसेंट से ज्यादा है। हालांकि सीबीएसई का 75 परसेंट अटेंडेंस वाला नियम नया नहीं है, लेकिन बोर्ड ने पहली बार इस साल शॉर्ट अटेंडेंस वाले बच्चों का डेटा मांगा है।

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स्कूलिंग हो रही प्रभावित
एक्सपट्र्स के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में जयपुर में 11वीं और 12वीं क्लास के साथ नीट और जेईई की तैयारी का ट्रेंड बढ़ा है। इसी के चलते शहर में डमी स्कूलों में भी बढ़ोतरी हुई है। कई स्कूल तो 11वीं क्लास पढ़ाते ही नहीं हैं, सीधे ही 12वीं क्लास की तैयारी करवाते हैं। वहीं 11वीं क्लास से साइंस स्ट्रीम के ज्यादातर बच्चे जेईई और नीट की तैयारी करते हैं। ऐसे में स्कूलिंग पर उनका फोकस कम और कोचिंग पर ज्यादा होता है। पिछले पांच साल के आंकड़ों के अनुसार, 10वीं क्लास में 10 सीजीपीए स्कोर करने वाले करीब 50 स्टूडेंट्स 11वीं क्लास में 70 से 75 प्रतिशत माक्र्स ही हासिल कर पाते हैं।

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डिजिटल अटेंडेंस नहीं हो पाई लागू
गौरतलब है कि पिछले साल सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने जयपुर में कहा था कि स्कूलों में बायोमैट्रिक अटेंडेंस होगी और इससे 75 परसेंट से कम अटेंडेंस वाले स्टूडेंट्स का पता चल सकेगा। लेकिन बोर्ड इस प्रोजेक्ट पर एक साल में कुछ भी काम नहीं कर पाया है। अब तक सीबीएसई की ओर से बायोमैट्रिक अटेंडेंस को लेकर कोई अपडेट नहीं है। बोर्ड की ओर से बायोमैट्रिक अटेंडेंस लागू करने के बाद ही 75 परसेंट अटेंडेंस का नियम सही रूप से लागू हो सकता है।

स्कूल्स नहीं भेजते स्टूडेंट्स का डेटा
एक्सपट्र्स का कहना है कि कोई भी स्कूल ऐसे स्टूडेंट्स का डेटा नहीं भेजता। हालांकि डमी स्कूल्स पर सख्ती के लिए बोर्ड का इनिशिएटिव अच्छा है, लेकिन आमतौर पर स्कूल शॉर्ट अटेंडेंस वाले स्टूडेंट्स की रिपोर्ट सीबीएसई को भेजते ही नहीं है। स्कूल अपने स्तर पर ही अटेंडेंस ठीक कर देते हैं, जिससे बच्चा बोर्ड एग्जाम में अपीयर हो सके।