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Gandhi Jayanti 2020: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को दी गई थी एएमयू छात्र संघ की आजीवन सदस्यता

Gandhi Jayanti 2020: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एएमयू से खासा लगाव रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह कई बार एएमयू में आए। 1920 में जब...

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Gandhi Jayanti 2020: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एएमयू से खासा लगाव रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह कई बार एएमयू में आए। 1920 में जब वह पहली बार यहां आए तो छात्र संघ की आजीवन सदस्यता दी गई। इतना ही नहीं, गांधीजी की अपील पर कैंपस में छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। एएमयू छात्र गांधीजी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी शिद्दत से जुड़े और हर आंदोलन में साथ दिया। एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में गांधीजी पर लिखी दुनिया की दुर्लभ पुस्तकें भी हैं। गाँधी जी प्रभावित होकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने शहर के रसलगंज में खादी भंडार खोला था।

विख्यात इतिहासकार एवं प्रो. एमरेट्स इरफान हबीब ने महात्मा गांधी के अलीगढ़ आगमन की विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रपिता पहली बार वर्ष 1916 में एमएओ कॉलेज आए थे। वह निशात कोठी जो वर्तमान में अलीगढ़ पब्लिक स्कूल हैं, वहां आमिर मुस्तफा शेरवानी के यहां रुके थे। इसके बाद दूसरी बार 12 अक्टूबर 1920 को आए। इस बार विश्वविद्यालय की छात्र यूनियन की ओर से उन्हें छात्र संघ की आजीवन सदस्यता प्रदान की गई। उस समय वह कैंपस में ही हबीब बाग में अब्दुल मजीद ख्वाजा के मकान में ठहरे थे। वह तीसरी बार पांच नवंबर 1929 को अलीगढ़ आए थे। इस बार वह पत्नी कस्तूरबा गांधी को भी साथ लेकर आये थे।


एएमयू विद्यार्थियों से महात्मा गांधी ने खादी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की अपील की थी। पूर्व छात्र मो. हरसत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन को हवा दी थी। उन्होंने यह भंडार गांधाजी के विचारों से प्रभावित होकर ही खोला था। इतना ही नहीं, उनके आह्वान पर कैंपस में विदेशी सामान की होली भी जलाई गई थी।


-इतिहासकार इरफान हबीब यादगार पलों को याद करते हुए बताते हैं कि वह जब दसवीं की पढ़ायी कर रहे थे, उस समय पहली बार गांधीजी को देखा था। यह बात वर्ष 1946-47 की है। गांधीजी की प्रार्थना सभा में उनके पिताजी शामिल हुए थे। उन्हीं के साथ जाने का अवसर मिला था।