
किसी भी देश के मानवीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की बुनियाद वहां का शिक्षा तंत्र होता है। जिस देश का शिक्षा तंत्र जितना उन्नत और विकसित होता है वो सभी स्तरों पर उतना ही विकासित होता है। प्राचीन काल में अपने समृद्ध शिक्षा तंत्र के बल पर ही भारत विश्व गुरू कहलाया, लेकिन समय के साथ इसमें गिरावट आ गई। हालांकि अब भारत में शिक्षा तंत्र मजबूत और उन्नतिशील है जिसका लाभ देशवासियों को मिल रहा है। लेकिन इस दुनिया में एक देश ऐसा भी है जिसका शिक्षा तंत्र लावजवाब है और अन्य देश उसी को फॉलो करने में लगे हुए हैं। यह देश जर्मनी है जो आज अपने समृत और उन्नत शिक्षा तंत्र के दम पर दुनिया के सबसे अधिक विकसित देशों में शुमार है। अपने शिक्षा तंत्र के दम पर ही जर्मनी आज प्रीमियम प्रोडक्ट्स बनाकर बेच रहा है और तगड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अपनी शिक्षा तंत्र के बल पर ही प्रतिस्पर्धा के दौर में भी जर्मनी खुद को ऊपर बनाए हुए है।
प्रैक्टिकल ज्ञान पर ज्यादा ध्यान
जर्मनी के शिक्षा तंत्र का राज इसमें थ्योरी के बजाए प्रैक्टिकल ज्ञान पर दिया जाने वाला जोर हैं। इसी वजह से यहां के स्कूलों के पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई के दौरान ही कई तरह की मशीनें बना चुके होते हैं और कई बिजनेस कर चुके होते हैं। यहां के स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटीज में भी थ्योरी की बजाए प्रैक्टिकल करने पर जोर देते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा की करीब 50 फीसदी जर्मन युवा हर साल वोकेशनल ट्रेनिंग ज्वॉइन करते हैं। यह रोजगार के लिहाज से एक शानदार रास्ता है। इस ट्रेनिंग में छात्र 326 प्रोफेशनल कोर्स चुन सकते हैं। इनमें डायमंड कटिंग, एयरक्राफ्ट मैकेनिक्स और चिमनियों की कारीगरी जैसे कोर्स शामिल हैं। यह ट्रेनिंग उद्यमों में दी जाती है और साथ ही थ्योरी कोर्स भी होता है। आपको बता दें कि जर्मनी के जबरदस्त निर्यात के पीछे इन वोकेशनल ट्रेनिंग्स की अहम भूमिका है। इसी वजह से अब दूसरे देश मानने लगे हैं कि युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर मौके इसी तरीके से बनाए जा सकते हैं।
दुनियाभर में मशहूर हैं जर्मनी की ये कंपनियां
फॉक्सवेगन, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, ऑउडी, पोर्शे जैसी कार निर्माता कंपनियां जर्मनी की ही हैं जो दुनिया भर में मशहूर हैं। जर्मनी में बच्चों को प्रैक्टिकल शिक्षा के दौरान ही कारों की डिजाइन से लेकर कल—पुर्जे बनाना सिखा दिया जाता है। जर्मनी की सांख्यिकी एजेंसी के मुताबिक इस देश ने 2015 में 226 अरब डॉलर की कारें और उनके पुर्जे निर्यात किए थे।
जर्मनी में वीईटी की सफलता और एपरेटिंसशिप का इतिहास मध्यकाल तक का है। थ्योरी और प्रैक्टिकल का संतुलन अब जर्मन एजुकेशन सिस्टम का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसी को लेकर भारत, मेक्सिको और रूस जैसे देश जर्मनी वीईटी सिस्टम अपनाने में जर्मनी की मदद ले रहे हैं।
Published on:
16 Apr 2018 01:13 pm
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