ISRO में करियर की तैयारी कक्षा 10वीं के बाद शुरू की जा सकती है। इसके लिए 11वीं और 12वीं में साइंस स्ट्रीम चुनना जरूरी है। खासकर फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स (PCM) विषय जरूरी होते हैं क्योंकि...
ISRO(Indian Space Research Organization) देश की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जो सैटेलाइट लॉन्च, ग्रहों की खोज और अंतरिक्ष तकनीक के विकास में काम करती है। इसरो में वैज्ञानिक, इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों की अहम भूमिका होती है। ISRO भारत के लिए साइंस के क्षेत्र में कई बेहतर काम कर रहा है। जिसमें सैटेलाइट बनाना, अंतरिक्ष की जानकारी इक्कठा करना, अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करना शामिल हैं। प्रमुख तौर पर वैज्ञानिक, इंजिनियर, डेटा और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट इस क्षेत्र में काम करते हैं। जो एक बहुत ही रोमांचित काम है। देश के कई छात्र या युवा हैं जो विज्ञान के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं और ISRO के साथ जुड़कर साइंस के क्षेत्र में कुछ योगदान देना चाहते हैं। इसलिए हम इस आर्टिकल में ISRO में काम करने से जुड़ी सारी जानकारी देने जा रहे हैं।
ISRO के अलग-अलग विभागों में काम करने के लिए नीचे दिए गए विषयों में विशेषज्ञता होनी चाहिए। इसरो कुछ खास क्षेत्रों में काम करता है। उन क्षेत्रों में काम करने के लिए निचे दिए सेक्टर में एक्सपर्ट होना पड़ता है।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग: रॉकेट और सैटेलाइट के ढांचे का निर्माण
इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन: सैटेलाइट सिस्टम और संचार तकनीक
कंप्यूटर साइंस: डेटा प्रोसेसिंग, सॉफ्टवेयर और कंट्रोल सिस्टम
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग: इंजन, एयरोडायनामिक्स और प्रोपल्शन
भौतिकी और गणित: ग्रहों और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े रिसर्च
रिमोट सेंसिंग और GIS: पृथ्वी की निगरानी और डाटा विश्लेषण
इसरो में करियर की तैयारी कक्षा 10वीं के बाद शुरू की जा सकती है। इसके लिए 11वीं और 12वीं में साइंस स्ट्रीम चुनना जरूरी है। खासकर फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स (PCM) विषय जरूरी होते हैं क्योंकि यही आगे की पढ़ाई की नींव बनाते हैं।
इसरो में ज्यादातर टेक्निकल पदों के लिए कम से कम बैचलर डिग्री (BTech या BE) होना जरूरी है। ये डिग्रियां निचे दिए गए स्ट्रीम में मुख्यतः होनी चाहिए।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग
इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन
कंप्यूटर साइंस
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
अगर आप रिसर्च क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो BSc (फिजिक्स, मैथ्स या एस्ट्रोनॉमी) करके फिर MSc या PhD भी कर सकते हैं। न्यूनतम 65% अंक या 6.84 CGPA जरूरी होता है और डिग्री मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से होनी चाहिए। अगर आप ISRO में एडवांस्ड रिसर्च या स्पेशलाइज्ड पदों के लिए जाना चाहते हैं, तो MTech, ME, MSc या PhD करना फायदेमंद होता है। इसरो में पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टरेट डिग्रीधारकों को भी नौकरी के अच्छे मौके मिलते हैं।
ISRO में टेक्निकल पदों के लिए भर्ती ISRO Centralised Recruitment Board (ICRB) के माध्यम से होती है। इसमें दो मुख्य चरण होते हैं:
लिखित परीक्षा: आपके इंजीनियरिंग या विज्ञान विषयों से जुड़े कॉन्सेप्ट्स पर आधारित होती है।
इंटरव्यू: सफल उम्मीदवारों का टेक्निकल जानकारी और व्यवहारिक समझ परखा जाता है।
कुछ पदों पर भर्ती GATE स्कोर के आधार पर भी होती है। आवेदक को भारतीय नागरिक होना जरूरी है और सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम उम्र सीमा 28 वर्ष होती है (आरक्षित वर्गों को छूट मिलती है)। समय समय पर इसरो जरुरी पदों के लिए वैकेंसी निकालता रहता है। इसके अलावा, ISRO समय-समय पर इंटर्नशिप, वर्कशॉप और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स भी आयोजित करता है। IIRS (Indian Institute of Remote Sensing) द्वारा रिमोट सेंसिंग और GIS के कोर्स भी होता है।
ISRO में नौकरी के लिए कई कॉलेज हैं, जिससे पढ़ाई की जा सकती है। लेकिन इन प्रमुख संस्थानों से पढ़ाई करना ज्यादा सही होता है, क्योंकि ये कॉलेज देश के टॉप टेक्निकल संस्थान हैं।
IITs और NITs– इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में मजबूत शिक्षा
IIST (Indian Institute of Space Science and Technology), तिरुवनंतपुरम– ISRO से जुड़ा संस्थान है और स्पेस टेक्नोलॉजी में UG, PG और PhD करवाता है।
IISc Bangalore– रिसर्च और साइंस के क्षेत्र में देश का टॉप संस्थान