
नियम में बदलाव का असर : आरटीई नामांकन में गिरावट
जाकिरहुसैन पट्टणकुडी
हुब्बल्ली. सरकार के अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत नामांकन के नियमों में बदलाव करने से इस साल आरटीई के तहत नामांकन दर में भी गिरावट आई हैै। विभिन्न निजी स्कूलों में आरटीई की 574 सीटें होने पर भी मात्र 302 बच्चों को ही प्रवेश मिला है।
अधिनियम लागू होने के बाद कुछ वर्षों तक अभिभावकों ने अपने बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला कराने के लिए टूट पड़े थे। 2017 में नामांकन नियमों में बदलाव किया गयाा। तदनुसार, जिस वार्ड में बच्चा रहता है या एक किमी के क्षेत्र में कोई सरकारी विद्यालय न हो तो ही निजी विद्यालयों में नामांकन प्राप्त कर सकते हैं।
नियम में बदलाव के कारण जिस वार्ड में बच्चा रहता है या एक किमी. क्षेत्र में कोई सरकारी या अनुदानित स्कूल है तो वहीं पर दाखिला लेना चाहिए। भले ही माता-पिता अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में नहीं कराना चाहते हों, फिर भी उन्हें आरटीई के तहत निजी स्कूल में दाखिला लेने की अनुमति नहीं है। इसके चलते अधिकांश अभिभावक आरटीई के तहत आवेदन नहीं कर रहे हैं। बिना नियम जाने अगर सरकारी स्कूल होने पर भी आवेदन में निजी स्कूल को तरजीह दी गई है, तो ऐसे आवेदन अस्वीकृत हो रहे हैं।
हुब्बल्ली ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा अधिकारी उमेश बम्मक्कनवर ने बताया कि कानून के मुताबिक निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें आरक्षित की जाती हैं परन्तु अगर कोई सरकारी या अनुदानित स्कूल के होने पर भी बच्चों को वहां दाखिला नहीं लेकर किसी निजी स्कूल में दाखिला लेते हैं, तो सरकार को भारी मात्रा में फीस का भुगतान करना पड़ता है। इसके चलते पड़ोसी स्कूल की अवधारणा पिछले कुछ वर्षों में बदल गई है।
उन्होंने बताया कि एक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक किमी. पार नहीं करना चाहिए यही सरकार की मंशा है। इस कारण अनुमति दी गई थी। साथ ही अबिभावक भी चाहते हैं कि उनके बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा मिले। सरकारी स्कूलों में ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू हो गई है, जिससे सुविधा हुई है।
आरटीई को लेकर जागरूक किया गया है। अभिभावक निजी स्कूल को प्राथमिकता देते हैं। अगर सरकारी स्कूल है तो वहीं पर दाखिला लेना चाहिए।
एस.के. माकन्नवर, आरटीई, नोडल अधिकारी
सरकारी स्कूलों में कमियां ही ज्यादा हैं। सरकार निजी क्षेत्र की लॉबिंग के आगे झुक कर एक तरफ अनुमति दे रही है और दूसरी तरफ इसे छीन रही है।
-बसवराज एस., राज्य इकाई पदाधिकारी, एसएफआई
सरकार निजी स्कूलों को आरटीई शुल्क के भुगतान में देरी कर रही है। इससे संस्थाओं को नुकसान हो रहा है।
जयप्रकाश टेंगिनकाई, अध्यक्ष, धारवाड़ जिला अनुदान रहित स्कूल प्रबंधन बोर्ड
2022 -- 422 -- 230
2023 -- 459 -- 246
2024 -- 574 -- 302
Published on:
05 Aug 2024 01:16 pm
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