
JNU(Image-('X'/@JNU_official_50)
JNU: देश के टॉप शिक्षण संस्थानों में से एक दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने हाल ही विदेशी विद्यार्थियों की फीस में 80 फीसदी तक की कटौती की है। विदेशी विद्यार्थियों (खासकर सार्क देश, अफ्रीका और लेटिन अमरीका के) की आवक बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। विदेशी ही नहीं देश में स्वतंत्र विचार और शोध में रूचि रखने वाले विद्यार्थियों के किए जेएनयू में पढ़ना एक सपना है। जानते हैं जेएनयू इतना खास क्यों है….
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1969 में एक शोध विश्वविद्यालय के रूप में इसकी की। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा, शोध और राष्ट्रीय विकास के लिए एक विचारशील और स्वतंत्र मंच प्रदान करना था। स्थापना में तत्कालीन सोवियत संघ की परोक्ष भूमिका रही। जेएनयू की शैक्षणिक संरचना, अकादमिक स्वतंत्रता और बहस की संस्कृति सोवियत अकादमिक मॉडल से प्रेरित मानी जाती है।
जेएनयू मुख्यत: स्नातकोत्तर और शोध केंद्र है। यहां पर कुल 9 हजार स्टूडेंट हैं और इनमें आधे से अधिक यानी 4 हजार से ज्यादा विद्यार्थी पीएचडी कर रहे हैं। कम फीस और सस्ते हॉस्टल के कारण यहां प्रतिभावान विद्यार्थियों को आगे बढ़ने में कोई बाधा नहीं है। कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट प्रवेश होते हैं। प्रमुख रूप से मानविकी, सामाजिक विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय संबंध, भाषा अध्ययन, जीवन विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान से संबंधित कोर्स उपलब्ध हैं। जेएनयू का भाषा विभाग सबसे समृद्ध माना जाता है
जेएनयू बहस और आलोचनात्मक चिंतन की संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां की खुली बहस परंपरा, छात्र राजनीति और वैचारिक विविधता इसे अन्य विश्वविद्यालयों से अलग बनाता है।
सूची लंबी है। प्रमुख पूर्व छात्रों में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो.अभिजीत बनर्जी, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई, देश की मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस.जयशंकर, भाजपा नेता मेनका गांधी, सीपीएम नेता प्रकाश करात व दिवंगत सीताराम येचुरी।
जी हां, भारतीय प्रशासनिक सेवा में सीधे चयनित अभ्यर्थियों को मसूरी की अकादमी में प्रशिक्षण के बाद लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर (एमए) की डिग्री भी जेएनयू की ओर से ही जारी होती है।
-तसनीम खान
Updated on:
08 Jul 2025 09:47 am
Published on:
08 Jul 2025 09:33 am
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