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अक्सर जेहन में सवाल आता है कि पृथ्वी के अलावा यदि कहीं जीवन जीने के लिए कहा जाए तो क्या हो? कैसे रहेंगे, क्या खाएं-पीएंगे और सांस कैसे लेंगे आदि सवाल जेहन में आते हैं। खगोल विज्ञान और जीवन विज्ञान के संगम की पढ़ाई का क्षेत्र है एस्ट्रोबायोलॉजी। इसमें ब्रह्मांड के कई प्रमुख ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं की तलाश को लेकर शोध व अध्ययन कार्य किया जाता है। कई वैज्ञानिक मानव के अलावा रोबोट को भी रिसर्च के लिए स्पेस में भेजते हैं ताकि वहां के बारे में जानकारी कर सकें। यह विषय काफी दिलचस्प होने के साथ थोड़ा कठिन भी है लेकिन विज्ञान संकाय के स्टूडेंट्स इस क्षेत्र से काफी आकर्षित होते हैं और इसमें कॅरियर बनाने के लिए आगे आते हैं। जानते हैं इस क्षेत्र के बारे में:
योग्यता
एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट बनने के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक डिग्री है। इसके अलावा एस्ट्रोनॉमी, जियोलॉजी, इकोलॉजी, मॉलीक्यूलर बायोलॉजी, प्लेनेट्री साइंस, जियोग्राफी, केमिस्ट्री, फिजिक्स और संबंधित विषय में डिग्र्री प्राप्त होना अनिवार्य है। आपने यदि संबंधित विषय से यदि बीएससी कर रखी है तो आप एस्ट्रोबायोलॉजी में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं। इसमें एमएससी या फिर पीएचडी भी कर सकते हैं।
यहां मिलते हैं मौके
इस क्षेत्र में सबसे अहम कार्य वैसे तो शोध करने का होता है। लेकिन कार्यानुभव के आधार पर वैज्ञानिक, जियोसाइंटिस्ट, एस्ट्रोनोमर, बायोकेमिस्ट आदि के पद पर भी अपनी पहचान बना सकते हैं। लंबे समय तक यदि आप इस क्षेत्र में शोध कर चुके हैं तो आप बतौर शिक्षक भी काम कर सकते हैं। देशी और विदेशी यूनिवर्सिटी या कॉलेजों में होने वाले रिसर्च कार्यों के दौरान आप बतौर एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट काउंसलर के रूप में भी जा सकते हैं।
यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
देशभर में कई संस्थान और यूनिवर्सिटी हैं जो बैचलर्स, मास्टर्स आदि प्रोग्राम के अलावा सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स और शोध कार्य भी संचालित करती है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं-
(a) इंडियन एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट रिसर्च सेंटर (IARC), मुम्बई
(b) एमपी बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बेंगलुरु
(c) नासा एस्ट्रोबायोलॉजी इंस्टीट्यूट, कैलिफोर्निया, अमरीका
Published on:
30 Oct 2018 07:08 pm
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