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मोटिवेशन : जीवन का हर निर्णय खुद लेना चाहिए : सचिन तेंदुलकर

पेशेवर जिंदगी हो या दोस्ती, जीवन के हर क्षेत्र में साझेदारी बहुत मायने रखती है। पहचानें कि ऐसा क्या है जो दूसरे से आपको जोड़े रखे हुए है।

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Amanpreet Kaur

May 07, 2018

sachin tendulkar

sachin tendulkar

पेशेवर जिंदगी हो या दोस्ती, जीवन के हर क्षेत्र में साझेदारी बहुत मायने रखती है। पहचानें कि ऐसा क्या है जो दूसरे से आपको जोड़े रखे हुए है। क्रिकेट की ही बात करूं तो बहुत सारे लोग बल्लेबाजी में साझेदारी को ही महत्वपूर्ण मानते हैं जबकि विरोधी गेंदबाज के साथ एक अलग किस्म की साझेदारी भी उतनी ही मायने रखती है। एक गेंदबाज बॉलिंग कर रहा है क्योंकि उसे सामने वाले को आउट करना है, एक बल्लेबाज बैटिंग कर रहा है कि उसे रन बनाने हैं। एक साझा संघर्ष हैं। जिंदगी ऐसी साझेदारियों का ही खेल है। इन साझेदारियों से जीवन का असली आनंद मिल पाता है।

बीत गई सो बात गई

कोई दिन आपके साथ बहुत बुरा गुजर सकता है। यह बहुत सामान्य है और हर किसी के साथ होता है। हताश सब होते हैं। यह उन्हें भी घेरती हैं, जो सर्वश्रेष्ठ है। बस, लगातार इसके बारे में सोचते रहना भयानक है। बीते कई वर्षों से मैंने आदत डाल ली थी कि अगर कुछ बुरा घटित हो गया है तो मैं उसे अपने पर हावी नहीं होने दूंगा और उस तरफ ध्यान रखंूगा जो मेरे आगे हैं और जिसे में बेहतर कर सकता हूं।

खुद को भी सुनिए

लोग आपके काम के बारे में जानते हो या नहीं लेकिन सलाह जरूर देते हैं कि आपको क्या करना चाहिए! बेशक, सलाह लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन करें वहीं जिसकी गवाही आपका दिल भी देता हो। आखिरकार निर्णय जो भी हो, वह आपका अपना होना चाहिए।

मदद मांगने में कैसा डर

मैं जीवन के उतार-चढ़ाव के दौरान परिवार और दोस्तों के साथ का हिमायती हूं। हर उपलब्धि पर करीबी दोस्तों और परिवार के साथ जश्न मनाता हूं और जब समय कठिन हो जाता है तो अपने करीबियों और परिवार वालों से मदद मांगने से हिचकता नहीं। यकीन रखिए, यही वे लोग हैं जो किसी भी शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक आघात से आपको ऐसे उबार लेंगे कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं था!

ईगो हटाकर खेलें

बेशक, मेरा काम वाकई खेलने का रहा, आपका कुछ और हो सकता है। काम कोई भी हो, आप उसे खेल की तरह ले सकते हैं। प्रतिस्पर्धा किसी भी क्षेत्र की हो, वहां उत्तेजना के क्षण होते ही हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप केवल अपने लक्ष्य की ओर बढऩे पर ध्यान दें और बाकी सब छोड़ दें, जैसा कि कोई भी एथलीट करता है। साथ ही, अपने अहंकार को अपने काम के मैदान से बाहर ही छोड़ कर आइए। इसमें ऐसा कुछ है जो आपको सही चीजें करने से रोकता है और आप ईगो से जुड़ी कई तरह की समस्याओं में फंस कर रह जाते है। ईगो हटाकर खेलने पर आपको बड़ा मजा आएगा।