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चिकित्सा के मेडिकल, डेंटल, पैरामेडिकल और फार्मेसी पाठ्यक्रम में स्टूडेंट्स को भले ही परीक्षा से एडमिशन दिया जाता हो, लेकिन नर्सिंग में अब भी 50 प्रतिशत सीटों पर फैडरेशन के जरिए प्रबंधन कोटा मेरिटोरियस विद्यार्थियों पर भारी पड़ रहा है। सरकार या अन्य सरकारी एजेंसी से 100 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश देने के बजाय अभी 50 प्रतिशत सीटों पर निजी कॉलेजों की फैडरेशन ही प्रवेश दे रही है। वह भी तब, जबकि देश में नर्सिंग संस्थानों की नियामक संस्थान इंडियन नर्सिंग काउंसिल आइएनसी स्वयं इसे सही नहीं मान रही। राजस्थान पत्रिका की एक पड़ताल के अनुसार आगामी सत्र 2020-21 में भी इसी तरह एडमिशन देने के लिए लिए आइएनसी और राज्य सरकार के महाधिवक्ता चिकित्सा विभाग को इस तरह के एडमिशन नहीं देने की नसीहत दे चुके हैं।
पिछड़ रही हैं प्रतिभाएं
नर्सिंग में एक तरफ एडमिशन प्रोसेस में उच्च प्राप्तांक वाले विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है, वहीं उन्हीं कॉलेज में कम मार्क्स लाने वाले विद्यार्थियों को सीधे एडमिशन दिया जाता है। गत वर्ष तक भी इस तरह से जमकर एडमिशन दिए गए। कम नंबर होने के बावजूद डोनेशन से कम नम्बर पर भी एडमिशन मिले।
इस तरह होता है एडमिशन
प्रवेश में 50 प्रतिशत सीटें फैडरेशन के कोटे से भरी जाती हैं। शेष 50 प्रतिशत के लिए नर्सिंग कोर्स में एडमिशन के लिए एग्जाम होते हैं। जीएनएम में 12वीं कक्षा की मेरिट पर काउंसलिंग से सीटें भरी जाती हैं। प्रवेश नर्सिंग में जीएनएम, बीएससी नर्सिंग, बीएएससी और एमएससी नर्सिंग में दिया जाता है।
Published on:
02 Aug 2020 08:12 am
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