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RBSE की शेष परीक्षाओं पर Supreme Court ने रोक लगाने से किया इनकार, याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रविवार शाम विशेष सुनवाई के दौरान राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Board of Secondary Education) (आरबीएसई) (RBSE) की 10वीं बोर्ड की 29 और 30 जून को होने वाली शेष परीक्षाओं पर रोक संबंधी याचिका खारिज कर दी।

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Madhya Pradesh MPSOS 10th, 12th admit card 2020

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रविवार शाम विशेष सुनवाई के दौरान राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Board of Secondary Education) (आरबीएसई) (RBSE) की 10वीं बोर्ड की 29 और 30 जून को होने वाली शेष परीक्षाओं पर रोक संबंधी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन खंडपीठ ने आनन-फानन में की गई सुनवाई के दौरान कहा कि 'राजश्री बनाम कर्नाटक' मामले में हालिया फैसले के मद्देनजर इस याचिका में हस्तक्षेप करना उचित जान नहीं पड़ता। गौरतलब है कि इस मामले में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने पूर्व के फैसले में कहा था कि अदालतों को शिक्षा संबंधी मामलों में कम से कम हस्तक्षेप करना चाहिए।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने बीकानेर की एक छात्रा की मां माघी देवी की याचिका खारिज करते हुए कहा, याचिकाकर्ता ने अंतिम वक्त में याचिका दायर की है, जबकि राज्य सरकार ने ऐहतियात के सभी आवश्यक उपाय कर लिए हैं। परीक्षा कल (29 जून) से शुरू होने वाली है और याचिकाकर्ताओं ने कोई ऐसी असुविधा का जिक्र नहीं किया है। इसलिए हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।' माघी देवी ने वकील रौनक कर्णपुरिया की माध्यम से आनन-फानन में आज ही दोपहर याचिका दायर की थी।

मामले की गम्भीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने 6.30 बजे याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ऋषि कपूर और रौनक कर्णपुरिया पेश हुए, जबकि राजस्थान सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी एवं वकील डी के देवेश पेश हुए। याचिकाकर्ता ने कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर कल से होने वाली बोर्ड की शेष परीक्षाओं को रोकने के निर्देश देने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने इस मामले में केंद्र सरकार, आरबीएसई और राज्य सरकार एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया था। दसवीं की शेष परीक्षाओं में कुल 11 लाख 86 हजार 417 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे, जबकि 120 स्कूलों में परीक्षा का आयोजन किया जाना है। याचिकाकर्ता का कहना था कि जिन 120 स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है वे कुछ समय पहले तक क्वारंटाइन सेंटर थे और इन केंद्रों पर परीक्षा का संचालन करना विद्यार्थियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना होगा। यह संविधान के अनुच्छेदद 21 और 14 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है, लेकिन शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी।