5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आईआईटी, NIT समेत सभी कॉलेज व यूनिवर्सिटी में रैगिंग को लेकर कड़ाई, यूजीसी ने जारी किए दिशा-निर्देश 

UGC Against Ragging: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रैगिंग पर पहली बार उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों की जिम्मेदारी तय की है। शैक्षणिक सत्र 25-26 के लिए आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, रैगिंग की घटना होने पर अ

2 min read
Google source verification
UGC Against Ragging

UGC Against Ragging In Colleges: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रैगिंग पर पहली बार उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों की जिम्मेदारी तय की है। शैक्षणिक सत्र 25-26 के लिए आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, रैगिंग की घटना होने पर अब कुलपति, निदेशक और रजिस्ट्रार पर गाज गिरेगी और सख्त कार्रवाई की जाएगी।

छात्रों को देना होगा शपथ पत्र

यूजीसी के निर्देशों के मुताबिक अब विद्यार्थियों को भी ऑनलाइन प्रवेश आवेदन-पत्र के साथ शपथ-पत्र देना होगा कि वे किसी भी रैगिंग में शामिल नहीं होने का वादा करेंगे। इस शपथ-पत्र में विद्यार्थी का रजिस्ट्रेशन नंबर भी होगा। यूजीसी के दिशा-निर्देश आईआईटी, NIT, मेडिकल, इंजीनियरिंग व प्रबंधन समेत सभी उच्च संस्थानों पर लागू होते हैं।

यह भी पढ़ें- आज से खुलेगी CUET UG सुधार विंडो, नोट कर लें अंतिम तारीख

कॉलेज परिसर में रैगिंग के खिलाफ सभी को किया जाएगा जागरूक

यूजीसी के मुताबिक, कैंपस में रैगिंग जैसी घटनाएं किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकती। विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मियों को जागरूक किया जाएगा। उच्च शिक्षण संस्थानों को एंटी रैगिंग कमेटी बनानी होगी। परिसर में सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। निर्देश में कहा गया कि किसी भी मामले में झूठी जानकारी देने पर संस्थानों की मान्यता रद्द करने, जुर्माना लगाने से कोर्स की मंजूरी वापस ली जा सकती है।

दो साल में रैगिंग से गई 51 छात्रों की जान

सोसाईटी अगेंस्ट वायलेंस इन एजुकेशन (सेव) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में रैगिंग के चलते 2022 से 24 के दौरान 51 छात्रों की जान चली गई। मेडिकल कॉलेज रैगिंग की सबसे ज्यादा 38.6 फीसदी शिकायतें सामने आईं हैं। खास बात है कि 35.4% गंभीर मामले और 45.1% मौतें मेडिकल कॉलेजों में हुईं। वहीं तीन वर्ष में राष्ट्रीय रैगिंग विरोधी हेल्पलाइन पर सिर्फ 3,156 शिकायतें दर्ज की गईं, जो पूरी तस्वीर नहीं है। ज्यादातर पीड़ित सुरक्षा के डर से चुप रहते हैं या शिकायत दर्ज करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।