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कॉलेज का काम जूनियर से करवाना, व्हाट्सएप ग्रुप से जूनियर्स को परेशान करना माना जाएगा रैगिंग, UGC ने जारी की एडवाइजरी

UGC: आयोग ने कहा, "पिछले कई सालों में रैगिंग के कारण न जाने कितने छात्रों की जान गई है और हजारों छात्रों का भविष्य बर्बाद हुआ है। इसके बावजूद कुछ लोग इसे कॉलेज में नए छात्रों को 'परिचय देने' या 'हकीकत सिखाने' का तरीका मानते हैं...

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भारत

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Anurag Animesh

Jul 10, 2025

UGC releases advisory on anti-ragging

UGC releases advisory on anti-ragging(AI Generated Image)

University Grants Commission (UGC), जो देश में उच्च शिक्षा की निगरानी करने वाली संस्था है, ने रैगिंग के खिलाफ एक जरूरी एडवाइजरी जारी की है। आयोग ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) को इसका सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं और रैगिंग से जुड़ी जानकारी पोर्टल पर भरने को कहा है। UGC ने 24×7 यानी चौबीसों घंटे चलने वाली एक National Anti-Ragging Helpline भी शुरू की है। छात्र 1800-180-5522 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

रैगिंग क्या मानी जाएगी? UGC ने बताया

UGC के अनुसार, निचे दिए गए किसी भी तरह की हरकत को रैगिंग माना जाएगा।

जानबूझकर या अनजाने में किसी नए या पुराने छात्र की मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास को गिराने की कोशिश करना। यह तब होता है जब कोई छात्र अपनी ताकत, सीनियरिटी या मजा लेने के लिए दूसरे छात्र को परेशान करता है।

किसी भी तरह की शारीरिक हिंसा जैसे मारपीट, यौन उत्पीड़न, कपड़े उतरवाना, अश्लील हरकतें करवाना या दिखाना, शरीर को नुकसान पहुचाना आदि।

किसी छात्र से जबरन पैसे लेना या अनावश्यक खर्च डालना।

गाली-गलौच, अपमानजनक भाषा, ईमेल, पोस्ट या सार्वजनिक रूप से किसी को अपमानित करना। इससे अगर किसी को मानसिक या भावनात्मक कष्ट हो, तो वह भी रैगिंग मानी जाएगी।

नए छात्रों से जबरन कोई पढ़ाई या अन्य काम करवाना जो असाइनमेंट के रूप में किसी और को दिया गया हो।

यूजीसी ने बताया कि रैगिंग अब भी हमारे देश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक गंभीर समस्या है।

UGC ने क्या कहा?


आयोग ने कहा, "पिछले कई सालों में रैगिंग के कारण न जाने कितने छात्रों की जान गई है और हजारों छात्रों का भविष्य बर्बाद हुआ है। इसके बावजूद कुछ लोग इसे कॉलेज में नए छात्रों को 'परिचय देने' या 'हकीकत सिखाने' का तरीका मानते हैं, जो पूरी तरह गलत सोच है।" आयोग ने सभी शिक्षण संस्थानों से अपील की है कि वे इस घातक प्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाएं और छात्रों को सुरक्षित एवं सम्मानजनक माहौल प्रदान करें।