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सरकारी महिला शिक्षकों को मिली दुल्हन सजाने की जिम्मेदारी !

उत्तर प्रदेश में अभी तक शिक्षकों की जनगणना (Census) और चुनावों (Election) जैसे कार्यक्रमों में ड्यूटी की बात आपने सुनी होगी। लेकिन आज होने वाले सामूहिक विवाह में महिला शिक्षकों को दुल्हन (Bride) को सजाने की जिम्मेदारी दे दी गई। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। सोशल मीडिया में तरह-तरह के चुटकुले बनने लगे।

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Bride

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उत्तर प्रदेश में अभी तक शिक्षकों की जनगणना (Census) और चुनावों (Election) जैसे कार्यक्रमों में ड्यूटी की बात आपने सुनी होगी। लेकिन आज होने वाले सामूहिक विवाह में महिला शिक्षकों को दुल्हन (Bride) को सजाने की जिम्मेदारी दे दी गई। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। सोशल मीडिया में तरह-तरह के चुटकुले बनने लगे। विरोध की भनक लगते ही बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने आननफानन बीईओ का आदेश निरस्त कर दिया। पूरा मामला बेसिक शिक्षा मंत्री डा$ सतीष चन्द्र द्विवेदी के गृह जनपद सिद्घार्थ नगर का है।

सिद्घार्थ नगर जिले के नौगढ़ ब्लाक में आज होने वाले मुख्यमंत्री विवाह समारोह में 184 दुल्हनों को सजाने की जिम्मेदारी 20 महिला शिक्षकों दी गयी थी। यहां के खंड शिक्षा अधिकारी धु्रव प्रसाद ने एक तुगलकी फरमान जारी करते हुए तेतरी बजार में होने वाले सामूहिक विवाह में सजाने की जिम्मेदारी सौंप दी। इन 20 नामों में स्कूल की प्रधानाध्यापिका और शिक्षा मित्र के नाम शामिल थे। सोमवार को सुबह आदेश जारी होते शिक्षकों के विभिन्न समूहों में यह वायरल होने लगा। सोशल मीडिया में चुटकुले भी तैयार किये जाने लगे। किसी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की अनदेखी बताया। तो किसी ने लिखा कि दूल्हों को सजाने के लिए भी कोई टीम बनी है क्या। बेसिक शिक्षा अधिकारी सूर्यकांत त्रिपाठी ने बवाल बढ़ता देख इस आदेश को रद्द कर दिया।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पाण्डेय ने कहा, शिक्षकों का सम्मान पूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए। इस प्रकार के कार्यों से शिक्षकों को भार दिया जाता है। इसके बाद हमें स्कूल न जाने के लिए दोषी ठहराया जाता है। एक अन्य शिक्षक ने कहा कि इस प्रकार के फरमान से शिक्षा व्यवस्था को खराब करने की बात है। ऐसी परपाटी से शिक्षा व्यवस्था कभी पटरी पर आने वाली नहीं है। ऐसे आदेश जारी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।