
Rajasthan Assembly Elections: विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा ने अलवर जिले की सभी 11 सीटों पर प्रत्याशियों की तस्वीर साफ कर दी है, चुनावी मुकाबले की असल तस्वीर उम्मीदवारों की नाम वापसी पर ही तय हो पाएगी। लेकिन इन प्रमुख दलों के बीच चुनावी कितना कड़ा होगा, यह बागी और तीसरे मोर्चे के दलों के प्रत्याशी तय करेंगे। अभी एक- दो सीटों को छोड़ अभी ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस - भाजपा के बीच है।
विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामांकन का आखिरी दिन सोमवार है। इस दिन बड़ी संख्या में नामांकन होने की उम्मीद है। अभी प्रमुख कांग्रेस व भाजपा के कुछ प्रत्याशियों के नामांकन नहीं हो पाए हैं, वहीं तीसरे मोर्चे के दलों की ओर से अभी पूरे प्रत्याशी घोषित नहीं किए जा सके हैं। बागी, निर्दलीय सहित शेष प्रत्याशियों के लिए अब एक ही दिन का समय बचा है। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबले की तस्वीर कुछ हद तक साफ हो सकेगी। हालांकि मुकाबले की असल तस्वीर नाम वापसी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सामने आएगी।
सभी 11 सीटों पर कांग्रेस व भाजपा आमने- सामने
जिले की सभी 11 सीटों पर कांग्रेस व भाजपा आमने सामने हैं। कुछ सीटों पर बागी उम्मीदवार एवं तीसरे मोर्चे के दल अभी उपिस्थति दर्ज कराते दिख रहे हैं। हालांकि चुनावी माहौल में कांग्रेस व भाजपा के कई नेता टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन सोमवार को इन दावों की सच्चाई सामने आ सकेगी। तीसरे मोर्चे के दल भी अभी दो सीटों पर उपिस्थति दर्ज कराते दिखाई पड़ रहे हैं।
प्रमुख दलों का डेमेज कंट्रोल भी नहीं आ रहा काम
प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की सूची आने के बाद कांग्रेस व भाजपा में बागी सुर तेजी से उभरे हैं। इन सुरों को थामने के लिए दोनों ही दलों ने डेमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन तिजारा में भाजपा को छोड़ अभी ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में इन दलों के डेमेज कंट्रोल के प्रयास कारगर होते दिखाई नहीं पड़ रहे।
प्रमुख दलों के प्रत्याशी बनाने लगे चुनावी रणनीति
विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नामांकन दाखिल करने का काम अंतिम दौर में हैं। कांग्रेस व भाजपा के नेता एवं प्रत्याशी अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। हालांकि इस रणनीति में अभी बागी और प्रभावी निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने के प्रयास भी शामिल हैं, लेकिन यदि ये प्रयास सफल नहीं हो पाते तो दूसरी रणनीति पर भी तैयार की जाने लगी है।
अब बड़े नेताओं के दौरों का सहारा
कांग्रेस एवं भाजपा अपने सभी प्रत्याशी उतार चुनावी स्क्रिप्ट तो लिख दी, अब जीत के लिए ये दल अपने बड़े नेताओं के दौरे शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। दोनों ही दलों के रणनीतिकारों को भरोसा है कि उनके बड़े नेताओं के दौरे प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी माहौल बनाएंगे, जिससे उनकी जीत की राह आसान हो सकेगी।
Published on:
06 Nov 2023 10:10 am
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