स्पेन के प्रधानमंत्री ने कैटलोनिया की संसद को भंग करके वहां 21 दिसंबर को स्थानीय चुनाव कराने का ऐलान किया है। इस तरह से कैटेलोनिया और स्पेन अधिकारों को लेकर आमने-समाने है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कैटेलोनिया को लेकर स्पने में संवैधानिक संकट बना है। 75 लाख की आबादी वाले कैटेलोनिया की राजधानी बार्सलोना है। कैटेलोनिया ने अपनी आजादी के लिए की गई वोटिंग से तीन दिन पहले स्पेन को आगाह किया था कि वो उसे सारे अधिकार देकर अपना कंट्रोल खत्म कर दे, लेकिन स्पेन सरकार ने इसकी अनदेखी की। तब कैटेलोनिया के राष्ट्रपति चाल्र्स पुइगदेमोंत ने स्पेनिश प्रधानमंत्री मारियानो राजोय से बातचीत से मसले को सुलझाने की अपील की थी। उन्होंने मैड्रिड की ओर से ‘हां या नाÓ में जवाब देने की मांग पर भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया था।
शुक्रवार को सुबह मारियानो राजोय ने सीनेट (संसद) से कैटेलोनिया ने अपने लिए आजादी के बाद अधिकार लिए थे उन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था। स्पेन सरकार का कहना है कि कैटेलोनिया में जल्द ही शांति स्थापित की जाएगी। कैटेलोनिया की आजादी के घटनाक्रम से स्पेन में नाराजगी है। दरअसल कुछ समय से आर्थिक तंगी से परेशान स्पेन ने कैटेलोनिया को देने वाली वित्तीय शक्तियां और खर्चों में कटौती कर दी थीं, जिसके बाद से वहां के लोग आजादी की मांग करेन लगे थे। स्पेन में 2015 के चुनाव में कैटेलोनिया अलगाववादी नेताओं को जीत मिली थी। तब से ही वे अलग होने की मांग कर थे। इसके लिए उन्होंने स्पेन के विरोध के बाद भी अलग होने को लेकर जनमत संग्रह के कराया था। इसमें 90 फीसदी लोग अलग राज्य की मांग कर रहे थे। इसे जनमत संग्रह को स्पेन ने अवैध करार दिया था।
कैटेलोनिया को स्पेन में गृहयुद्ध से पहले इसे स्वायत्तता मिली थी। सन् 1939 से 1975 के बीच जनरल फ्रांसिस्को फ्रैंको के नेतृत्व में कैटेलोनिया की इस स्वायत्तता को खत्म कर दिया गया था। 1978 के संविधान में इसके पूर्वोत्तर इलाकों को फिर से स्वायत्तता देनी पड़ी। 2006 में एक अधिनियम के तहत कैटेलोनिया के अधिकार बढ़ा दिए गए। कैटेलोनिया का आर्थिक आधार बढऩे लगा। वह राष्ट्र के रूप में उभरने लगा। स्पेन की कोर्ट ने साल 2010 में सारी शक्तियां वापल ले ली, जिससे कैटेलोनिया प्रशासन नाराज हो गया था और आर्थिक अधिकारों में कटौती के बाद कैटेलोनिया में आजादी की आवाज और मुखर हो गई।