15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बैकुंठ चतुर्दशी: भगवान विष्णु एवं शिवजी की ऐसी पूजा से सैकड़ों कामना हो जाती है पूरी

Baikunth Chaturdashi 2019 : बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु एवं शिवजी की ऐसी पूजा से सैकड़ों कामना हो जाती है पूरी

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Shyam Kishor

Oct 29, 2019

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु एवं शिवजी की ऐसी पूजा से सैकड़ों कामना हो जाती है पूरी

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु एवं शिवजी की ऐसी पूजा से सैकड़ों कामना हो जाती है पूरी

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है, इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शंकर के पूजन के साथ पितृ ‍तर्पण करने का विधान है। इस साल 2019 में बैकुंठ चतुर्दशी का यह पर्व बुधवार, 10 नवंबर दिन रविवार को मनाया जायेगा। उपवास रखकर इस दिन शुभ महूर्त में श्री विष्णु जी एवं श्री शिवजी का पूजन करने वाले भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। जानें पूजा विधान एवं मुहूर्त।

ऐसे करें भगवान श्री विष्णु की पूजा

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीविष्णु की विधिवत धूप-दीप, चन्दन तथा श्वेत कमल पुष्प, केसर, चंदन का इत्र, गाय का दूध, मिश्री एवं दही से अभिषेक व आरती के साथ षोडशोपचार पूजा करना चाहिए। श्रीमद्भगवत गीता एवं श्री सुक्त का पाठ करने से अनेक इच्छाएं पूरी हो जाती है। इस दिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ एवं विष्णु बीज मंत्र का जप 108 बार करने से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है। अंत में मखाने की खीर का भोग लगाकर लगाना चाहिए।

ऐसे करें भगवान शंकर जी का पूजन

विधिवत भगवान श्री विष्णु जी का पूजन करने के बाद भगवान शंकर जी का भी गाय के दूध या गंगाजल से अभिषेक करने के बाद पुष्प, बेलपत्र आदि से षोडशोपचाप पूजन करने के बाद, शिवजी के बीज मंत्र का जप 108 बार करना चाहिए। इस दिन भगवान शंकर को भी मखाने से बनी खीर का ही भोग लगाना चाहिए।

पित्र तर्पण एवं सप्तऋषि पूजन

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपने पितरों का तर्पण किसी पवित्र नदी में करने से पितृ प्रसन्न होकर शुभ आशीर्वाद देते हैं। भगवान श्री विष्णु व शिवजी के पूजन के साथ-साथ सप्त ऋषियों के नामों की पूजा एवं नाम जप करने से मनुष्य को सभी तरह के कष्‍टों से मुक्ति मिलती है एवं सुख-समृद्धि, आरोग्य तथा अंत में सभी सुखों को भोगकर बैंकुंठ की प्राप्ति होती है। बैकुंठ चतुर्दशी के दिन निशिथ काल में पूजन करना बहुत लाभदायी माना गया है। इस दिन "ॐ ह्रीं ॐ हरिणाक्षाय नमः शिवाय" मंत्र का जप एक हजार बार करने से हरि-हर दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

************