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श्री गणेश का श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर: जहां बप्पा 30 दिनों में पूरी करते हैं भक्तों की हर मनोकामना

इस मंदिर के दर्शन बिना अधूरा माना जाता है गणेश उत्सव...

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Ganesh Chaturthi 2020: world famous shri ganesh temple of india

Ganesh Chaturthi 2020: world famous shri ganesh temple of india

प्रथम पूज्य श्री गणेश जी के प्रमुख त्योहारों में 10 दिवसीय गणेश उत्सव सर्वाधिक महत्व वाला माना जाता है। इस वर्ष यानि 2020 में यह पर्व 22 अगस्त से शुरु होगा। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसके संबंध में मान्यता है कि यहां गणपति जी के इस मंदिर के दर्शन बिना गणेश उत्सव का ये त्योहार अधूरा माना जाता है।

दरअसल गणेश जी का ये मंदिर महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर है पुणे का श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर... इसका निर्माण दगडूशेठ हलवाई द्वारा कराया गया था।

सोने से सजा यह मंदिर करीब 125 साल पुराना है। वहीं यहां के लोगों के मुताबिक इस मंदिर के दर्शन बिना गणेशोत्सव का त्योहार अधूरा माना जाता है। इसके अलावा गणपति मंदिर से बिल्कुल सटा हुआ दायीं ओर भगवान शिव का प्राचीन श्री सिद्धेश्वर मंदिर स्थापित है, जिसे गणेश मंदिर से अलग हटकर देख पाना लगभग असंभव सा ही है।

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर सन् 1893 में बनकर तैयार हुआ। इस मंदिर में भगवान् श्री गणेश की 7.5 फ़ीट ऊँची और 4 फ़ीट चौड़ी, तक़रीबन 8 किग्रा सोने से सुसज्जित प्रतिमा स्थापित है।

इस मंदिर का निर्माण बड़ी ही ख़ूबसूरती से इस शैली में किया गया है कि भगवान् की पीठासीन प्रतिमा मंदिर के बाहर से ही दिखाई देती है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जय और विजय नामक दो प्रहरियों की संगमरमर की मूर्तियां स्थित हैं।

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर के नाम और निर्माण के पीछे के कुछ खास तथ्य, जबकि इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी लोगों के बीच बहुत प्रचलित है।

दगडूशेठ गडवे एक लिंगायत व्यापारी और हलवाई थे, जो कलकत्ता से आकर पुणे में बस गए थे। उन्होंने हलवाई के रूप में बहुत ख्याति पाई और इस तरह दगडूशेठ गडवे लोगों के बीच दगडूशेठ हलवाई के नाम से प्रसिद्ध हो गए। धीरे-धीरे दगडूशेठ एक समृद्ध व्यापारी और नामचीन हलवाई बन गए और भगवान की उन पर असीम अनुकम्पा बनी रही।

लेकिन दुर्भाग्य से, 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में प्लेग की महामारी में उनके बेटे का देहांत हो गया। अपने पुत्र की अकाल मृत्यु से दुखी दगडूशेठ और उनकी पत्नी अवसादग्रस्त हो गए। तब उनके आध्यात्मिक गुरु श्री माधवनाथ महाराज ने उन्हें इस दुख से उबरने के लिए भगवान गणेश का एक मंदिर बनवाने का सुझाव दिया।

इसके बाद, दगडूशेठ हलवाई ने पुणे में गणपति जी के मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर अपनी भव्यता और यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होने के कारण प्रसिद्ध है।

वर्तमान में श्रीमंत दगडूशेठ गणपति ट्रस्ट इस मंदिर की देखरेख करती है और विभिन्न अवसरों पर भजन, गणपति अथर्वशीर्ष पाठ और संगीत समारोह जैसे सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन करती है।

गणेशोत्सव/गणेश चतुर्थी - शुक्ल चतुर्थी, भाद्रपद मास:
गणेशोत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी से शुरू होकर यह उत्सव अनन्त चतुर्दशी तक दस दिनों तक चलता है। इस दौरान भक्त दूर-दूर से इस उत्सव के दौरान बप्पा के दर्शन करने और उनका आशीष पाने मंदिर में आते हैं।

माना जाता है कि बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यहां बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। कहते हैं यह मंदिर दगरूसेठ हलवाई और पुणे के गोडसे परिवार की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर वास्तुशास्त्र के लिहाज से बनाया गया है। मंदिर के मुख्य मंडप की दीवारों पर उभरी आदिशक्तियों की अद्भुत झांकी, प्रतीक है।

बप्पा स्वयं इस ऐश्वर्य में नहीं विराजते, बल्कि उनकी शरण में आने वाला उनका हर भक्त दरिद्रता और विघ्नबाधाओं से मुक्ति पाकर ऐसे ही ऐश्वर्य को प्राप्त करता है। शास्त्रों में बप्पा यानी गणपति को पंचभूत कहा गया है।

मान्यता है कि धरती आकाश, आग, हवा और जल की सारी शक्तियां इन्ही में समाहित है। यहां कोई मनन्त के लिए शीश नवाता है तो कोई बप्पा का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से यहां आता है।

इस मंदिर का निर्माण बड़ी ही खूबसूरती से किया गया है निर्माण में विशेष शैली को उपयोग है भगवान की पीठासीन प्रतिमा मंदिर के बाहर से ही दिखाई देती है। मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फ़ीट उंची और 4 फिट चौड़ी, लगभग 8 किग्रा सोने से सुसज्जित प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जय और विजय नामक दो प्रहरियों की संगमरमर की मूर्तियां स्थित की गई हैं।

समय - Timings
दर्शन समय : 6:00 AM - 11:00 PM
7:30 - 7:45 AM : सुप्रभातम आरती
1:30 - 1:45 PM : नवेधयं
3:00 - 3:15 PM : मध्याह्न आरती
8:00 - 9:00 PM : महामंगल आरती
10:30 - 10:45 PM : शेज आरती

ऐसे पहुंच सकते हैं मंदिर
किसी भी बड़े शहर से आप सड़क, ट्रेन या वायु मार्ग से पुणे तक आसानी से पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी 5 किमी और एयरपोर्ट से 12 किमी दूर है।

मंदिर का पता : गणपति भवन, 250, बुधवार पेठ, शिवाजी रोड, पुणे महाराष्ट्र 411002