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Halchat Utsav : हलछठ बलराम जयंती पूजा विधि- 21 अगस्त 2019

Halchat Utsav : इस शुभ दिन महिलाएं संतान प्राप्ति एवं संतान के दीर्घायुस्य की कामना से हलछठ ( Hal Sashti Vrat ) व्रत रखकर विधान-विधान से पूजन अर्चन करती है।

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भोपाल

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Shyam Kishor

Aug 20, 2019

Halchat Balaram Jayanti 2019

Halchat Utsav : हलछठ बलराम जयंती पूजा विधि- 21 अगस्त 2019

हर साल हलछठ ( Hal Sashti Vrat ) बलराम जयंती का पर्व भादो मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ दिन महिलाएं संतान प्राप्ति एवं संतान के दीर्घायुस्य की कामना से व्रत रखकर विधान-विधान से पूजन अर्चन करती है। हिंदू धर्म में इस पर्व को भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाते हैं। हलछठ के दिन ही हलधर भगवान बलराम की जयंती भी मनाई जाती है। श्री बलराम जी भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई थे। जानें कैसे करें हलछठ पर्व का पूजन।

हलछठ एवं बलराम जयंती

हलछठ एवं बलराम जयंती का पर्व श्रवण पूर्णिमा, रक्षा बंधन के ठीक 6 दिन बाद जाता है। बलराम जयन्ती, ललही छठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, हलछठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ के नाम से यह पर्व देश के कई राज्यों में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। इसी शुभ दिन यानी की भादो मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को धरती को धारण करने वाले शेषनाग जी ने भगवान बलराम के रूप में अवतार लिया था। बलराम जी की विशेष पूजा की जाती है।

महिलाएं करती है विशेष पूजन

भादो मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन महिलाएं अपनी संतान के दीर्घायु जीवन की कामना के लिए व्रत रखकर पूजा करती है। इस दिन भगवान बलराम जी की जयंती का पूजन खासकर "हल" का पूजन भी क्या जाता है। मान्यता है कि इस दिन हल के द्वारा बोया हुआ अन्न, सब्जियां आदि का खाने में प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस खाने में विशेषकर भैंस के दूध का प्रयोग किया जाता है।

इन सामग्रियों से करें पूजन

हलछठ के दिन महुआ का पत्ता, तालाब में उगा हुआ चावल, (तिन्नी का चावल), भुना हुआ चना, घी में भुना हुआ महुआ, अक्षत, लाल चंदन, मिट्टी का दीपक, भैंस के दूध से बनी दही तथा घी। सात प्रकार के अनाज, धान का लाजा, हल्दी, नया वस्त्र, जनेऊ और कुश। यह सारे सामान इस व्रत की पूजा में रखे जाते हैं। इन सभी सामग्रियों को 6-6 की संख्या में हो पूजन करें।

संतान की प्राप्ति

बलराम जयंती हलछठ के दिन विधि पूर्वक पूजा करने से निःसंतान दम्पतियों को श्रेष्ठ व दीर्घायु संतान की प्राप्ति होती है। अगर किसी की संतान बीमार रहती हो इस दिन व्रत-पूजन करने से संतान स्वस्थ एवं उसकी आयु व एश्वर्य में वृद्धि होती है। प्राचीन मान्यता है कि जब भी किसी बच्चे का जन्म होता है तब पहले दिन से लेकर 6 महीने तक छठी माता ही सुक्ष्म रूप से बच्चे की देखभाल करती है। इसलिए तो बच्चे के जन्म के छठवें दिन छठी माता की पूजा भी की जाती है। हलछठ व्रत के दिन होती है बैल एवं हल की पूजा की जाती है।

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