7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जन्माष्टमी 2020 : जानिये इस दिन क्यों फोड़ते हैं दही हांडी?

इस बार यानि 2020 में ये पर्व 12 अगस्त को...

2 min read
Google source verification
Janmashtami 2020: know why do you break curd handi on this day?

Janmashtami 2020: know why do you break curd handi on this day?

श्रीकृष्ण का जन्म का दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी Shree Krishna Janmashtami के नाम से जाना जाता है। यह जन्माष्टमी का पर्व देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई कोनों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं व धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि Shree Krishna Janmashtami को रात को रोहिणी नक्षत्र के दौरान भगवान विष्णु ने ही श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था। ऐसे में इस दिन को सनातन धर्म को मानने वाले बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। वहीं इस बार यानि 2020 में ये पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा।

इस पर्व को लोग विभिन्न तरीकों से मनाते हैं। जिनमें से जो मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है, वो है दही हांडी की। दरअसल इस दौरान खासतौर पर लोग मंदिरों आदि में दही हांडी का भव्य आयोजन करते हैं।

वहीं इस बार कोरोना के चलते ये आयोजन हो पाना मुश्किल दिख रहा है। क्योंकि इस भव्य आयोजन में लोगों की भीड़ शामिल होती है, जो कोरोना के मद्देनज़र ठीक नहीं होगा, कारण इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। मगर इस दही हांडी आयोजन के पीछे की क्या कथा है, इस बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसे में आज हम आपको इस आयोजन से जुड़ी कथा के बारे में बता रहे हैं।

धार्मिक ग्रंथों में श्री कृष्ण के बारे में जो वर्णन मिलता है उसके अनुसार इन्हें मक्खन और मिश्री बेहद पसंद है। यही कारण है कि इनकी पूजन के बाद लगने वाले भोग में इन चीज़ों को ज़रूर शामिल किया जाता है।

कथा के अनुसार अपनी बाल्य अवस्था में गोपियों की मटकियों से मक्खन चुराकर खाया करते थे। जिसके बाद परेशान होकर गोपियां उनकी शिकायत मां यशोदा से करने आती थीं। किंतु माता के समझाने पर भी उन पर कोई असर नहीं होता था और वे रोज़ाना गोपियां को परेशान करके मक्खन चुराते और दोस्तों के साथ बैठकर उसके खाते।

कथा के मुताबिक गोपियां इनसे परेशान होकर दही और मक्खन को बचाने के लिए मटकी को किसी तरह के ऊंचाई पर टांग देती थीं, ताकि कान्हा उस तक न पहुंच पाएं। लेकिन इसके बावजूद कान्हा अपनी चतुराई से मटकी से दही व माखन को चुरा लेते थे। बता दें श्री कृष्ण की इन्हीं शरारत भरी लीलाओं के कारण उन्हें माखन चोर के नाम से भी जाना जाता था।

ऐसे में वर्तमान समय में श्रीकृष्ण की इन लीलाओं को याद करके ही दही हांडी का उत्सव देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इसके अलावा श्रीमद्भागवत दशम स्कंध में कृष्ण जन्म का उल्लेख मिलता है। जिसमें बताया गया है कि जब श्री कृष्ण पृथ्वी पर अर्धरात्रि में अवतरित हुए तो ब्रज में घनघोर बादल छाए थे। कहा जाता है कि आज भी कृष्ण जन्म के दिन व समय अर्धरात्रि में चंद्रमा उदय होता है।