सुहागिनों यानि विवाहित महिलाओं के लिए भी यह व्रत शुभ माना गया है। यह व्रत सौभाग्यदायक है. पति—पत्नी के आपसी संबंध मजबूत करता है, पति के मन में पत्नी के लिए प्रेम बढ़ाता है. यदि दांपत्य जीवन में कुछ परेशानी है तो यह व्रत जरूर रखना चाहिए.
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सर्वविदित है कि माता पार्वती ने शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी. ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि इससे प्रसन्न होकर ही शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए मनपसंद पति की चाह रखनेवाली कन्याओं को तपश्चर्या करनी चाहिए.
सौभाग्य या श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद व्रत और पूजन का संकल्प लें. दिन में उचित समय पर अच्छा सा श्रृंगार कर शिव—पार्वतीजी की विश्वासपूर्वक पूजा करें. संभव हो तो निर्जला व्रत रखें या केवल फलाहार की करें। ओमकार मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें.