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नृसिंह जयंतीः भगवान नृसिंह की आरती स्तुति

सभी तरह की कामनाओं की पूर्ति करने वाली है यह आरती

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भोपाल

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Shyam Kishor

May 05, 2020

नृसिंह जयंतीः भगवान नृसिंह की आरती स्तुति

नृसिंह जयंतीः भगवान नृसिंह की आरती स्तुति

हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की जयंती मनाई जाती है। इस साल 2020 में भगवान नृसिंह की जयंती 6 मई दिन बुधवार के मनाई जाएगी। इस दिन नृसिंह भगवान का विधिवत पूजन अर्चन करने के बाद सभी तरह की कामनाओं की पूर्ति करने वाली इस आरती का गायन जरूर करें।

भगवान नृसिंह जयंतीः शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

भगवान श्री नरसिंह जी की आरती

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।

स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।

तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।

अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।

नृसिंह जयंतीः भय, अकाल मृत्यु का डर, असाध्य रोग से मिलेगा छुटकारा, करें इस पावरफुल मंत्र का जप

सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।

दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।

ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।

शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।।

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उपरोक्त नृसिंह भगवान की आरती से पूर्व इस स्तुति मंत्र प्रार्थना का पाठ उच्चारण जरूर करें।

नरसिंह मंत्र- ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥

अर्थ- हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंह भगवान, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूं।

नृसिंह जयंती : भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की अद्भुत कथा

श्री भगवान नृसिंह स्तुति

1- प्रहलाद हृदयाहलादं भक्ता विधाविदारण।

शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि॥

2- नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने।

हिरन्यकशिपोर्ब‍क्षः शिलाटंक नखालये।।

3- इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह।

बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे।।

4- तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं।

दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्।

केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे।।

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5- वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि।

यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे।।

6- श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह।

प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म।।

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