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अपने भक्तों की रक्षा के लिए माँ दुर्गा ने लिए थे इतने अवतार, इनके नाम के जप मात्र से संकट दूर हो जाते हैं

Shardiya Navratri 2019 : Maa Durga ke avtar : नौ रूपों के अलावा माता दुर्गा भवानी ने भक्तों के संकटों को हरने 5 अवतार लिए थे। नवरात्रि में इन अवतारों के केवल नामों का जप करने से सारे संकटों को हर लेती है माँ दुर्गा।

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भोपाल

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Shyam Kishor

Sep 19, 2019

अपने भक्तों की रक्षा के लिए माँ दुर्गा ने लिए थे इतने अवतार, इनके नाम के जप मात्र से संकट दूर हो जाते हैं

अपने भक्तों की रक्षा के लिए माँ दुर्गा ने लिए थे इतने अवतार, इनके नाम के जप मात्र से संकट दूर हो जाते हैं

Maa Durga ke avtar : शारदीय नवरात्रि का महापर्व साल 2019 में 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर 2019 तक चलेगा। शास्त्रों में उल्लेख आता है कि माँ दुर्गा ने समय-समय पर अवतार लेकर अपने भक्तों की रक्षा करती है। वैसे तो नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की ही जाती है। लेकिन इन नौ रूपों के अलावा माता दुर्गा भवानी ने भक्तों के संकटों को हरने 5 अवतार लिए थे। नवरात्रि में इन अवतारों के केवल नामों का जप करने से सारे संकटों को हर लेती है माँ दुर्गा।

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दुर्गा सप्तशती ग्रंथ के 11 वे अध्याय में देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा भवानी ने यह वरदान दिया की जब-जब ब्रह्मांड में संकट आएगा तब संकटों को दूर करने के लिए वे स्वयं बार-बार अवतार लेती रहेंगी। माँ दुर्गा के इन 5 अवतारों के (रक्तदंतिका, शताक्षी, शाकम्बरी देवी, दुर्गा, भीमा देवी, और भ्रामरी माता) नामों का नवरात्र के दिनों में केवल 108 बार करने से व्यक्ति के सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है।

1- माता का पहला अवतार "रक्तदंतिका"- माँ दुर्गा भवानी ने देवताओं की रक्षा के लिए नंदगोप की पत्नी यशोदा के गर्भ से पृथ्वी पर अत्यंत भयंकर रूप में अवतार लेकर "वैप्रचित्त दानव" सहित अनेक असुरों का अपने दांतों से चबाकर किया था। तभी से माँ दुर्गा को भक्त "रक्तदंतिका" माता के नाम से पुकारने लगे।

2- माता का तीसरा अवतार "दुर्गा" - माँ दुर्गा ने असुर "दुर्गम" का संहार कर अपने देवताओं की रक्षा की थी। तभी से माता "दुर्गा" के नाम से जानी जाने लगी।

3- माता का दुसरा अवतार "शताक्षी"-"शाकम्बरी" - जब पृथ्वी पर 100 वर्षो तक वर्षा नही हुई, तब ऋषि-मुनियों की स्तुति आवाहन व करुण पुकार सुनकर माँ दुर्गा भवानी ने अवतार लिया था। इस "शताक्षी" अवतार में माता ने सौ नेत्रों से अश्रु धारा बहाकर अपने भक्तों का संकट को दूर किया था। तभी से इनका नाम "शताक्षी"-"शाकम्बरी" माता हुआ अर्थात सौ आँखों से देखने वाली देवी।

4- माता का चौथा अवतार "भीमा" - मां भवानी ने "भीमा" के रूप में अवतार लेकर उन राक्षसों का वध किया जो हिमालय में रहने वाले ऋषि-मुनियों को परेशान करते थे। राक्षसों का वध कर माता ने ऋषि-मुनियों की संकटों से रक्षा की तभी से माता का नाम "भीमा" पड़ा।

5- माता का पांचवां अवतार "भ्रामरी" - जब तीनों लोकों में "अरुण" नाम के असुर का अत्याचार बढ़ने लगे, तब ऋषि-मुनियों, देवताओं के आवाहन पर उनकी रक्षा के लिए माता ने छह पैरों वाले असंख्य भ्रमरों का रूप धारण करके "अरुण दैत्य" का नाश किया था। तभी से माँ "भ्रामरी माता" के नाम से पूजी जाने लगी।

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