24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Janmashtami Puja Vidhi Shubh Muhurat : जन्माष्टमी पर्व पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त- 24 अगस्त 2019

Janmashtami 2019 : 24 अगस्त दिन शनिवार को ही भादो मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र है। जानें 24 अगस्त शनिवार को जन्माष्टमी पर्व के विधिवत पूजा विधि एवं सही शुभ मुहूर्त।

3 min read
Google source verification

भोपाल

image

Shyam Kishor

Aug 23, 2019

Shri Krishna Janmashtami puja vidhi shubh muhurat 2019

Janmashtami Puja Vidhi Shubh Muhurat : जन्माष्टमी पर्व पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त- 24 अगस्त 2019

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस हर सार जन्माष्टमी का पर्व रोहिणी नक्षत्र में ही मनाया जाता है। साल 2019 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व हिंदू पंचाग के अनुसार 24 अगस्त दिन शनिवार को ही भादो मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र है। जानें 24 अगस्त शनिवार को जन्माष्टमी पर्व के विधिवत पूजा विधि एवं सही शुभ मुहूर्त।

जन्माष्टमी : ऐसे करें लड्डू गोपाल का अभिषेक, जो चाहोगे मिलेगा

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त के बारे में पत्रिका डॉट काम को भोपाल वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पं. प्रह्लाद कुमार पंड्या ने बताया कि- 23 अगस्त दिन शुक्रवार को उदय कालीन तिथि सप्तमी प्रातः 8 बजकर 10 मिनिट तक ही रहेगी। इसलिए हिंदू पंचाग के अनुसार, 24 अगस्त दिन शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना शास्त्र सम्मत होगा, क्योंकि इसी दिन रोहिणी नक्षत्र भी है।

जन्माष्टमी पर्व शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य पं. प्रह्लाद कुमार पंड्या ने बताया कि 23 अगस्त शुक्रवार को सप्तमी तिथि के साथ अष्टमी होने से इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में ग्रहण नहीं किया जा सकता। साथ ही 23 अगस्त शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग भी नहीं है। रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त शनिवार को ब्राह्ममुहूर्त में 3 बजकर 48 मिनिट से प्रारंभ होगा, जो शनिवार 24 अगस्त को उदय कालीन तिथि अष्टमी प्रातः 8 बजकर 33 मिनट तक एवं रोहिणी नक्षत्र मध्य रात्रि के बाद 25 अगस्त रविवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।

शुभ रोहाणी नक्षत्र

इसलिए जन्माष्टमी का महापर्व शनिवार 24 अगस्त 2019 को अष्टमी व रोहाणी नक्षत्र के शुभ संयोग पर ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसी दिन रात में 11 बजकर 56 मिनट से लेकर कृष्ण जन्म के शुभ समय मध्य रात्रि तक विधि-विधान से योगेश्वर श्रीकृष्ण का पूजन अर्चन करें और उनकी कृपा के अधिकारी बनें।

जन्माष्टमी पर्व पूजा विधि

- जन्माष्टमी के दिन सूर्य उदय होते ही व्रत पूजा का संकल्प लेवें।
- सुबह के समय इस मंत्र का 108 बार जप भी सुविधानुसार कामना पूर्ति के भाव से करें।

मंत्र का

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥

माता देवकी का पूजन

- दोपहर के समय इस का उच्चारण करते हुए विधिवत माता देवकी का पूजन करें, एवं पूजन पूर्ण होने के बाद निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें।

मंत्र

‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।।

ऐसे करें कान्हा जी की पूजा

- मध्य रात्रि में ठीक 12 बजे किसी कृष्ण मंदिर में या अन्यत्र जहां उत्सव मनाया जा रहा हो, या फिर अपने घर पर ही जन्म समय से पूर्व कृष्ण भजन कीर्तन करने के बाद नियत समय पर पंचामृत से बाल गोपाल रूप श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान कराकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। कृष्ण जन्म की आरती करने के बाद उन्हें माखन मिश्री एवं पंजीरी का भोग लगावें। जन्माष्टमी के दिन उपवास रखने वाले कृष्ण भक्त इसी समय अपना व्रत भी खोल सकते हैं।

************