जब आर्इएएनएस ने सेना के पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल मोहित वैष्णव सवालों की एक प्रतावली भेजी गई और उनसे आईएएनएस ने बात भी की, लेकिन वह दो में से किसी का भी जवाब नहीं दे पाए। इस विषय में सेना के खुद के साहित्य और फंड की रचना से यहां एजीआईएफ की प्रवेशिका मिलती है। सोल्जर्स सेकंड लाइफ के बैनर के तहत एजीआईएफ की व्याख्या संक्षिप्त है।
परिपक्वता लाभ : सदस्यों की जमा राशि के साथ ब्याज और बोनस का भुगतान एक सैनिक की सेवानिवृत्ति पर किया जाता है। किसी सदस्य की मृत्यु होने पर परिक्वता की राशि का भुगतान मृत्यु लाभ के साथ उसके अगले रिश्तेदार को किया जाता है। 15 साल की सेवा के बाद कोई सदस्य अपने बच्चों की शिक्षा/ विवाह के लिए परिपक्वता लाभ का 50 फीसदी निकाल सकता है। इसके अलावा, मकान की मरम्मत या सेवानिवृत्ति के अंतिम दो साल के दौरान वाहन के लिए परिपक्वता राशि का 90 फीसदी निकाल सकता है।
बीमा : सेवा के दौरान मृत्यु होने वाले सैन्यकर्मियों के परिवारों को बीमा लाभ 50 लाख रुपये अधिकारियों को और 25 लाख रुपये जेसीओ/ओआर को प्रदान किया जाता है। वहीं, मासिक राशि क्रमश: 5,000 रुपये और 2,500 रुपये है।
विस्तारित बीमा : आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड एक्सटेंडेड इंश्योरेंस स्कीम में सैनिकों को सेवा से मुक्त होने पर बीमा कवर प्रदान की जाती है। इसमें अधिकारियों को छह लाख रुपये और अधिकारी से नीचे के रैंक के सैन्यकर्मियों को तीन लाख रुपये सेवानिवृत्ति के बाद 26 साल के लिए या 75 साल की उम्र तक के लिए प्रदान किए जाते हैं। पूर्व सैनिक की मृत्यु हाने पर उनके परिवार द्वारा यह राशि प्राप्त की जाती है। हाल ही में इस बीमा राशि में संशोधन करके इसे अधिकारी व अधिकारी से नीचे के रैंक वालों के लिए क्रमश: 10 लाख रुपये और पांच लाख रुपये कर दिया गया है। यह उनके लिए है जो इस स्कीम में एक जनवरी 2014 के बाद शामिल हुए हैं।
अशक्तता कवर : यह उनके लिए है जो घायल या बीमार होने के कारण समय से पहले सेवा से अशक्त होकर बाहर हो जाते हैं। शतप्रतिशत अशक्तता वाले अधिकारियों और जेसीओ/ओआर को क्रमश: 25 लाख रुपये और 12.5 लाख रुपये की राशि मिलेगी। अशक्तता का स्तर 20 फीसदी तक होने तक क्रमश: यह राशि अपेक्षाकृत कम होती जाती है।
एजीआईएफ छात्रवृत्ति योजना : अधिकारियों, जेसीओ और ओआर के बच्चों को आर्मी वेलफेयर एजुकेशनल सोसायटी (एडब्ल्यूईएस) के 12 संस्थानों में 40,000 रुपये सालाना की एजीआईएफ छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
सेना ने जानकारी देने से किया था इनकार
सेना ने आईएएनएस को पूर्व में इस बात की जानकारी देने से मना कर दिया कि सेना कल्याण निधि का पैसा आईएलएंडएफएस बांड में लगा होगा। सेना ने कहा, “सूचित किया जाता है कि भारतीय सेना की कल्याण निधि का निवेश मौजूदा नीति के आधार पर सिर्फ राष्ट्रीयकृत, अनुसूचित बैंकों व पीएसयू में किया जाता है। कथित तौर पर आर्मी बेटल केजुअल्टी वेलफेयर फंड और आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड से कोई निवेश आईएलएंडएफएस बांड में नहीं होता है। इस आलेख का झूठा, निराधार और दुर्भावनापूर्ण के तौर खंडन किया जाता है।”
पुख्ता है रिपोर्ट
आईएएनएस अपनी रिपोर्ट पर कायम है। पूर्व के आलेख को अब सही ठहराया जाता है। आईएएनएस को पता चला कि सैन्य बल के कुछ वर्ग, मुख्यरूप से सेना ने अपनी निधि की राशि अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एएए रेटेड आईएलएंडएफएस बांड में निवेश किया। भारतीय सेना की तीन विशिष्ट निधियां हैं जिनमें देशवासी योगदान दे सकते हैं- आर्मी वेलफेयर फंड बेटल केजुअल्टी (सियाचीन हिमस्खलन और पठानकोट/उरी की घटना के बाद 2016 में गठित), आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड और पैराप्लेजिक रिहैबिलिटेशन सेंटर पुणे। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैन्य बल के सदस्यों/परिवारों के लिए इनमें योगदान दिया जाता है। यह अब तक ज्ञात नहीं है कि क्या इन फंडों का निवेश विषाक्त बांड में किया गया।
सरकार आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड स्कीम में बिल्कुल धन नहीं देती है। एजीआईएफ द्वारा जनरल और जवानों को प्रदत्त बीमा कवर और कवर की अवधि की तुलना इस प्रकार है :
जनरल की संख्या : 350 (लगभग)
मासिक किस्त : 5,000 रुपये
सालाना किस्त : 60,000 रुपये
लेफ्टिनेंट जनरल बीमा कवर 60 साल तक
सीओएएस बीमा कवर 62 साल तक
सालाना योगदान : 60,000 रुपये
जनरल द्वारा सालाना योगदान : 60,000 रुपये जिसे 350 से गुना करने पर यह राशि दो करोड़ और 10 लाख रुपये होती है।
जवानों की संख्या : 13,00,000 (लगभग)
सालाना योगदान : 30,000 रुपये
जवानों का कुल सालाना योगदान : 30,000 रुपये को 13,00,000 से गुना करने पर 3,900 करोड़ रुपये
ये आंकड़े सिर्फ एक साल के हैं। बड़ा सवाल यह है कि इस निधि पर कौन नजर रख रहा है। अगर यह विशाल राशि विषाक्त आईएलएंडएफएस बांड में फंसती है तो कौन इसका दायित्व लेगा इसका जवाब नहीं है। अगर सैन्य प्राधिकरण आसन्न समस्या को मानना शुरू करेगा तो पहला कदम उठाया जाएगा।