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कर्ज डिफॉल्ट के नियमों में कंपनियों को मिल सकती है राहत, RBI कर सकता है बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआर्इ के 12 फरवरी के सर्कुलर को कर दिया था रद
पहले के निर्देश को बदल कर 30 दिन की दी जा सकती है मोहलत

Apr 23, 2019 / 06:54 pm

Saurabh Sharma

RBI

कर्ज डिफॉल्ट के नियमों में कंपनियों को मिल सकती है राहत, RBI कर सकता है बदलाव

नई दिल्ली। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआर्इ ) के 12 फरवरी के परिपत्र ( सर्कुलर ) को रद्द किए जाने के बाद अब रिजर्व बैंक कर्ज के डिफॉल्ट से जुड़े नियमों में कंपनियों को कुछ छूट दे सकता है। सूत्रों के अनुसार कर्ज के भुगतान में एक भी दिन की चूक को डिफॉल्ट मानने के निर्देश को बदल कर ऐसे मामलों में 30 दिन की मोहलत दी जा सकती है। इसके साथ ही एमएमए-0 वर्गीकरण को चूक की श्रेणी के लिए आधार के रूप में हटा दिया जाएगा। एमएमए-0 के तहत चूक का मतलब है कि जब भुगतान 30 दिन से अधिक बकाया न हो लेकिन खाते में संकट के संकेत दिखते हों।

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इस मामले में भी होगा बदलाव
इसके अलावा एक बड़ा बदलाव यह होगा कि सावधि ऋण और ‘कैश क्रेडिट’ एक को बराबर माना जाएगा। चूक के नियम सावधि ऋणों पर लागू थे, न कि कैश क्रेडिट सीमा पर। कैश क्रेडिट के मामले में चूक तभी मानी जाती है, जब बकाया राशि लगातार 30 दिन से ज्यादा समय तक स्वीकृत सीमा से अधिक रहती है। संशोधित परिपत्र में सावधि ऋण के मामले में भी लगातार 30 दिन की अवधि को शामिल किया जाएगा। इससे उद्योग जगत के साथ ही कर्जदाता बैंकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। बता दें कि 12 फरवरी 2018 के मूल परिपत्र के तहत मूलधन या ब्याज भुगतान में एक दिन की भी चूक होने की स्थिति में बैंकों को संबंधित खाते को विशेष उल्लेख वाले खाते ( एसएमए ) के तौर पर वर्गीकृत करने का निर्देश था।

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बैंकों ने बताई थी समस्या
एक सूत्र ने कहा कि बैंकों ने बैंकिंग नियामक के समक्ष यह मसला उठाया गया कि बड़ी कंपनियों, खास तौर पर जो कंपनियां सरकार के भुगतान पर निर्भर रहती हैं, वहां कर्ज भुगतान में एक दिन की चूक पर नजर रखना कठिन है। बुनियादी ढांचा (इन्फ्रासट्रक्चर) क्षेत्र की कंपनियों के मामले खासतौर पर ऐसी समस्या सामने आती है।

 

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