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ILFS मामले में SFIO ने RBI पर उठाया सवाल, केंद्रीय बैंक की लापरवाही से इतना बड़ा हुआ घोटाला!

SFIO ने कहा- समय रहते आरबीआई देता दखल तो पहले ही हो जाता खुलासा।
RBI की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी होने के बाद भी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं।
पिछले सप्ताह ही दाखिल किए गए चार्जशटी में ही SFIO ने आरबीआई पर उठाए सवाल।

नई दिल्लीJun 03, 2019 / 12:48 pm

Ashutosh Verma

RBI

नई दिल्ली। सिरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस ( SFIO ) ने अपने चार्जशीट में कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) अगर समय रहते हुए दखल दे देता तो IL&FS संकट का खुलासा और पहले हो जाता। SFIO ने अपनी तरफ से कहा कि IL&FS की वित्तीय सेवा सहायक कंपनी IFIN इस जांच के केंद्र में है। rbi की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी होने के बाद भी इस कंपनी को आगे संचालन करने का मौका दिया गया। चार्जशीट में कहा गया है कि आरबीआई को आंतरिक जांच करते हुए जरूरी कदम उठाना चाहिए।

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जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी के बाद भी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं

SFIO ने अपनी चार्जशीट में कहा है, “सही समय पर कदम उठा लिया जाता तो यह संकट इतना बड़ा नहीं होता। जांच से पता चलता है कि साल 2015 की रिपोर्ट में आरबीआई ने लगातार नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर सवाल उठाया हैं।” इसके बावजूद भी IFIN पर कोई पेनाल्टी नहीं लगाई गई और बिना सही कदम उठाए ही कंपनी का संचालन जारी रहा। केवल नवंबर 2017 में ही आरबीआई ने क्रेडिट रिस्क एसेट रेशियो ( CRAR ) के बारे में IL&FS समूह की कंपनियों को गंभीर रूप से सूचित किया।

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पहली पर उठे आरबीआई पर उठे सवाल

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ( Minsitry of Corporate Affairs ) की जांच विभाग ने कहा है कि उसकी रिपोर्ट को केंद्रीय बैंक के साथ साझा किया जाए। विभाग ने कहा, “आरबीआई को इस संबंध में आंतरिक जांच करनी चाहिए और इसमें देर होने की वजह का पता लगाना चाहिए। जांच के बाद केंद्रीय बैंक को सही कदम उठाते हुए यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में फिर कभी इस तरह का मामला न हो।” बता दें कि यह पहला ऐसा मामला है जब किसी आधिकारिक ईकाई ने भारतीय रिजर्व बैंक पर उंगली उठाया है।

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पिछले सप्ताह ही दाखिल किया गया था चार्जशीट

गौरतलब है कि SFIO अपनी जांच के लिए आरबीआई की जांच रिपोर्ट पर निर्भर था। पिछले सप्ताह ही SFIO ने मुंबई के एक विशेष अदालत में 30 व्यक्तियों व ईकाईयों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था। उधारकर्ताओं और समूह की अन्य कंपनियों को दिए गए कर्ज को लेकर केंद्रीय बैंक ने चिंता जताई थी। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “190 करोड़ रुपए का ऑप्शनल कन्वर्टिबल डिबेंचर ( OCD ) सिवा ग्रुप को दिया गया था ताकि यह कंपनी अपने पिछले कर्ज का भुगतान कर सके।” इस चार्जशीट के मुताबिक, आरबीआई ने कहा है कि एबीजी इंटरनेशनल को भी बिना किसी पर्याप्त सिक्योरिटी कवर के ही कर्ज दिया गया था।

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