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करंसी रेग्युलेशन को लेकर शक्तिकांत दास के दो टूक, कहा – आईएमएफ तय करे पॉलिसी, अमरीका नहीं

locationनई दिल्लीPublished: Jul 27, 2019 04:08:33 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

करंसी एक्सचेंज व उससे संबंधी नियमों को लेकर आमरीका के साथ-साथ आईएमएफ को दास का दो टूक।
कहा- पॉलिसी तय करना आईएमएफ की जिम्मेदारी।

Shaktikanta Das

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ( Shaktikanta Das ) ने बीते शुक्रवार को करंसी एक्सचेंज व उससे संबंधी नियमों को लेकर अमरीका के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( International Monetary Fund ) को भी दो टूक सुनाया। शक्तिकांत दास ने कहा कि करंसी पॉलिसी को बनाये रखना किसी एक देश की नहीं, बल्कि आईएमएफ की जिम्मेदारी है। दास ने कहा कि अमरीका जैसे किसी एक देश द्वारा दूसरे देश पर एक्सचेंज रेट सांठगांठ करने का आरोप लगाना आधिपत्य जमाने जैसा दिखाई देता है।

बताते चलें कि बीते कुछ समय में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और चीन पर करंसी एक्सचेंज रेट को मजबूत बनाये रखने के लिए सांठगांठ करने का आरोप लगाते रहे हैं। ट्रंप तो यहां तक भी कहते रहे हैं कि रिजर्व बैंक का बाजार से डॉलर की खरीदारी करना एक्सचेंज रेट को एक स्तर पर बनाए रखना जैसा तरीका है।

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इशारों में ही अमरीका पर उठाया सवाल

करंसी पॉलिसी के मुद्दे पर बोलते हुए दास ने कहा कि करंसी एक्सचेंज रेट्स और भुगतान को सही तरह से प्रबंधन के लिए सामूहिक तौर पर प्रयास करने और बहुपक्षीय सिद्धांत और रूपरेखा सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने किसी विशेष देश का नाम नहीं लिया। उन्होने इशारों में ही अमरीका पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ देश किसी अन्य देश को ‘करंसी में गड़बड़ी’ करने का आरोप लगा सकते हैं। उनहोंने कहा कि इस तरह के आरोप द्विपक्षीय नहीं होने चाहिये, क्योंकि इस संबंध में नीति तय करने के लिए आईएमएफ जैसे बहुपक्षीय संस्थाएं हैं।

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हाल ही में अमरीका के वित्त विभाग ने सबमिट की है ये रिपोर्ट

गौरतलब है कि आरबीआई गवर्नर की तरफ से यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में अमरीकी वित्त विभाग ने संसद में करंसी से जुड़ी एक रिपोर्ट सबमिट की है। हालांकि इस रिपोर्ट में भारत पर करंसी एक्सचेंज में साठगांठ के आरोप नहीं हैं जबकि पहले की रिपोर्ट में आरबीआई की ओर से डॉलर खरीदे जाने का जिक्र होता था। वास्तव में हालिया द्विवार्षिक रिपोर्ट में सभी उभरते हुए बाजारों को करंसी में गड़बड़ी करने वाला बताया गया है।

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