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Punjab And Sind Bank के साथ इन दो और बैंकों का सबसे पहले हो सकता है निजीकरण

Niti Ayog ने बैंकों के निजीकरण का ब्लूप्रिंट किया तैयार, जल्द हो सकता है कैबिनेट में पेश Punjab And Sind Bank के साथ बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक का निजीकरण करने की सलाह

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Saurabh Sharma

Sep 04, 2020

These banks may be first to privatize with Punjab And Sind Bank

These banks may be first to privatize with Punjab And Sind Bank

नई दिल्ली। सरकार बैंकों के निजीकरण को लेकर जल्दी ही आगे बढऩे के मूड में दिखाई दे रही है। इसके लिए नीति आयोग की ओर से पूरा खाका भी तैयार कर लिया गया है। आयोग ने सरकार को सिर्फ अपने अंडर में सिर्फ 4 बैंकों को रखने का प्रस्ताव दिया है। वहीं आयोग ने पंजाब एंड सिंध बैंक ( Punjab And Sind Bank ) के अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र ( Bank of Maharashtra ) और यूको बैंक ( UCO Bank ) को प्राथमिकता के आधार पर निजीकरण करने की सलाह दी है। वहीं बाकी बचे हुए बैंकों से अपनी हिस्सेदारी कम करने को कहा है। यानी बैंकिंग सेक्टर को पूरी तरह से प्राइवेट हाथों में देने की योजना पर सरकार चल पड़ी है।

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आयोग की ओर से दी गई सरकार को सलाह
- आयोग ने केंद्र सरकार को 4 सरकारी बैंकों पर ही अपना नियंत्रण रखने का सुझाव दिया
- भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक को अपने पास रखेगी सरकार।
- आयोग ने पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक का निजीकरण करने की सलाह दी है।
- बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक और इंडियन बैंक का 4 बचे हुए बैंकों में विलय करेगी या हिस्सेदारी कम करेगी।
- सरकार 26 फीसदी तक सीमित कर सकती है अपनी हिस्सेदारी।

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सिर्फ 4 बैंक ही क्यों?
सरकार की ओर से निजीकरण के लिहाज से स्ट्रेटेजिक और नॉन-स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स तय किए गए थे। बैंकिंग सेक्टर भी स्ट्रेटेजिक सेक्टर के अंतर्गत आता है। जिसके तहत 4 सरकारी बैंकों को मंजूरी दी जा सकती है। इस प्रपोजल को जल्द ही कैबिनेट में रखा जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों का कहना है कि 31 अगस्त लोन मोराटोरियम उसके बाद दो साल के लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग के बाद बैंकों को कैपिटल की जरुरत होगी।

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सरकार को मिलेगी राहत
वहीं दूसरी ओर कमजोर सरकारी बैंकों जिन्हें समय-समय सरकारी मदद की जरुरत होती है उनके निजीकरण से सरकार को काफी राहत मिलेगी। वैसे सरकार एक दम से प्राइवेटाइजेशन की ओर नहीं बढ़ रही है। हर कदम सोच समझकर और धीरे-धीरे और प्लानिंग के साथ कर रही है। ताकि सरकार के पास इन्हें बेचकर ज्यादा से ज्यादा धन आ सके। आंकड़ों के अनुसार 2015 से लेकर 2020 तक केंद्र सरकार ने बैड लोन के संकट से घिरे सरकारी बैंकों में 3.2 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डाली थी। कोरोना वायरस के दौर में बैंकों पर संकट के घने बादल और ज्यादा घिर गए। आपको बता दें कि 3 सालों में विलय और निजीकरण के कारण देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 हो गई है। जिसे और कम कर 4 तक करने की योजना पर काम हो रहा है।