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तीन महीने बाद भी पटरी पर नहीं लौट सका सुहागनगरी का चूड़ी कारोबार, यह है बड़ी वजह

— तीन माह बंदी की मार झेल रहा कारोबार, सोशल डिस्टेसिंग आ रही आढ़े।

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bangle factory

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फिरोजाबाद। उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिसे सुहागनगरी के नाम से भी जाना जाता है। विगत तीन माह से मंदी की मार झेल रहा है। इस कारोबार में सोशल डिस्टेंसिंग आढ़े आ रही है। कारखाने संचालक लगातार अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल रही है। कारोबार शुरू न होने से चूड़ी कारखानों के मालिक के अलावा वहां काम करने वाले मजदूर भी बेरोजगार हो गए हैं। रोजगार न मिलने से परिवार संकट में आ गया है।

देश विदेश में जाती हैं चूड़ियां
फिरोजाबाद में बनने वाली कांच की चूड़ियों की मांग देश विदेश में भी हैं। यहां लाखों श्रमिक इन कारखानों में काम कर अपनी आजीविका चलाते हैं। कोरोना को लेकर मार्च माह में ही कारखानों को बंद करा दिया गया था। उसके बाद से लगातार चूड़ी कारखानों में काम नहीं हो पा रहा है। काम शुरू कराने के लिए दी ग्लास इंडस्ट्रीरियल सिंडिकेट ने कारखानेदारों के साथ बैठक की जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए। औद्योगिक आस्थान नीलम ग्लास इंडस्ट्रीज एवं आरएस ग्लास इंडस्ट्रीज ने उत्पादन शुरू करने हेतु जरूरी अनुमति के लिए आवेदन दाखिल किए।

सोशल डिस्टेसिंग आ रही आढ़े
कारखानेदारों ने बताया कि चूड़ी बनाने के लिए श्रमिकों को पास—पास लगाया जाता है। कई लोगों के साथ काम करने पर चूड़ी तैयार होती है जिसमें सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो सकेगा। इसी के चलते शहर में चूड़ी निर्माण का कार्य नहीं हो पा रहा है। चूड़ियां न बनने के कारण नया माल बाजार में नहीं आ रहा है और पुराने स्टॉक में रखी हुई चूड़ियों की कीमत में उछाल आ गया है। दुकानदार संजीव अग्रवाल ने बताया कि नया माल नहीं बनने से पुराना स्टॉक अधिक दाम पर मिल रहा है। उसी हिसाब से बाजार में चूड़ियां बेची जा रही हैं। जब बनने लगेंगी तो पुराने रेट में बेचेंगे। अभी एक डिब्बी पर 20 से 50 रुपए तक बढ़ाए गए हैं।

जिला उद्योग केन्द्र से मांगी अनुमति
चूड़ी निर्माता कुछ कारखानेदारों का प्रतिनिधि मंडल जिला उद्योग केंद्र पहुंचा। प्रतिनिधि मंडल ने उपायुक्त उद्योग अमरेश पांडे से वार्ता कर चूड़ी कारखाने को जल्द से जल्द चालू कराने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाने पर बल दिया। चूड़ी कारखाने शुरू होने के बाद लाखों लोगों को रोजगार मिल सकेगा।