
sp singh baghel
फिरोजाबाद। सपा और बसपा के बाद भाजपा में शामिल होकर कैबिनेट मंत्री बने प्रो. एसपी सिंह बघेल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रमाण पत्र को लेकर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर अब 17 अप्रैल को आखिरी फैसला होना है। इसके लिए न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने उपस्थित न होने पर एक पक्षीय फैसला सुनाए जाने की चेतावनी दी है। वाद दायर होने के बाद प्रो.एसपी सिंह बघेल अभी तक किसी भी मामले में सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं।
प्रेमपाल ने किया है वाद दायर
बसपा से भाजपा में शामिल होने के बाद ही प्रो. एसपी सिंह बघेल को ओबीसी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया था। उसके बाद धनगर (एससी) प्रमाण पत्र को आधार बनाते हुए प्रो. बघेल टूंडला विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़े थे और जीत गए थे। उसके बाद से ही उनकी शिकायत शुरू हो गई थी। बसपा के पूर्व विधायक राकेश बाबू एडवोकेट और प्रेमपाल नामक व्यक्ति ने कोर्ट में वाद दाखिल कर दिया। जिसमें ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और धनगर प्रमाण पत्र को लेकर चुनौती दी गई थी।
17 अप्रैल को होगी सुनवाई
विधायक बनने के बाद योगी सरकार में प्रो. बघेल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। कोर्ट के बार-बार हस्तक्षेप करने के बाद भी धनगर संबंधी प्रमाण पत्र को लेकर हुई बहस में मंत्री की ओर से न तो उनके अधिवक्ता सुशील कुमार श्रीवास्तव ही कोर्ट में उपस्थित हुए और न मंत्री। इसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव से भी जवाब तलब किया। कोर्ट द्वारा इससे पहले 26 मई 2015 और उसके बाद 13 व 18 फरवरी को कोर्ट में उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बाद भी वह उपस्थित नहीं हुए। अब हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल का समय दिया है। 17 अप्रैल को उपस्थित न रहने पर एक पक्षीय फैसला सुनाने के निर्देश दिए हैं। कैबिनेट मंत्री की ओर से उनके भतीजे हनुमंत सिंह बघेल भागदौड कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।
Published on:
06 Apr 2018 12:05 pm
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