शोपीस बना है दहेज का सामान
आगरा के टेढ़ी बगिया की रहने वाली की रहने वाली अनीता की शादी दो माह पूर्व थाना नगलासिंघी के गांव ठार घर्रा में हुई थी। लेकिन ससुराल में कदम रखते ही उसके अरमानों पर अंधेरे ने पानी फेर दिया। पिता ने बेटी की खुशी के लिए टीवी, फ्रिज, कूलर व अन्य सामान दिया था जिससे बेटी उनका प्रयोग कर सके। बेटी भी हंसी खुशी अपना नया घर सजाने के सपने लेकर ससुराल आ गई। जब रात हुई तो घर में दीपक टिमटिमाते हुए देखा। पूछने पर पता चला कि बिजली कि पूरे गांव में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है। बिजली न होने की बात सुन उसके सपने पल भर में ही चकना चूर हो गए। उसके पिता का दिया सारा सामान बस एक शोपीस बनकर रह गया।
आगरा के टेढ़ी बगिया की रहने वाली की रहने वाली अनीता की शादी दो माह पूर्व थाना नगलासिंघी के गांव ठार घर्रा में हुई थी। लेकिन ससुराल में कदम रखते ही उसके अरमानों पर अंधेरे ने पानी फेर दिया। पिता ने बेटी की खुशी के लिए टीवी, फ्रिज, कूलर व अन्य सामान दिया था जिससे बेटी उनका प्रयोग कर सके। बेटी भी हंसी खुशी अपना नया घर सजाने के सपने लेकर ससुराल आ गई। जब रात हुई तो घर में दीपक टिमटिमाते हुए देखा। पूछने पर पता चला कि बिजली कि पूरे गांव में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है। बिजली न होने की बात सुन उसके सपने पल भर में ही चकना चूर हो गए। उसके पिता का दिया सारा सामान बस एक शोपीस बनकर रह गया।
तीन साल में गांव के एक लड़के की हुई शादी
अनीता के पति का नाम मुकेश सविता है। मुकेश गांव से दूर कटिंग की दुकान चलाता है। तीन सालों में इकलौते मुकेश की गांव के अंदर शादी हुई है, लेकिन इस शादी में भी ग्रहण लग गया। शादी के बाद अनीता बमुश्किल पन्द्रह दिन ससुराल रुकी, उसके बाद गर्मी का हवाला देते हुए मायके चली गई। परिजन बताते हैं कि दहेज में मिला पूरा सामान शोपीस बना रखा है। उसे खोला भी नहीं गया है। फ्रिज को खराब होने के भय से रिश्तेदारों के यहां भिजवा दिया गया है।
अनीता के पति का नाम मुकेश सविता है। मुकेश गांव से दूर कटिंग की दुकान चलाता है। तीन सालों में इकलौते मुकेश की गांव के अंदर शादी हुई है, लेकिन इस शादी में भी ग्रहण लग गया। शादी के बाद अनीता बमुश्किल पन्द्रह दिन ससुराल रुकी, उसके बाद गर्मी का हवाला देते हुए मायके चली गई। परिजन बताते हैं कि दहेज में मिला पूरा सामान शोपीस बना रखा है। उसे खोला भी नहीं गया है। फ्रिज को खराब होने के भय से रिश्तेदारों के यहां भिजवा दिया गया है।
अभिशाप बन गया अंधेरा
गांव के लोगों का कहना है कि गांव में पसरा अंधेरा अब उनके जीवन के लिए अभिशाप बन गया है। अनीता और मुकेश की शादी से करीब चार साल पहले गांव के राजवीर की शादी हुई थी। उसकी शादी में मिला सारा सामान आज भी पैक है। कई की पैकिंग खराब हो चुकी है।
गांव के लोगों का कहना है कि गांव में पसरा अंधेरा अब उनके जीवन के लिए अभिशाप बन गया है। अनीता और मुकेश की शादी से करीब चार साल पहले गांव के राजवीर की शादी हुई थी। उसकी शादी में मिला सारा सामान आज भी पैक है। कई की पैकिंग खराब हो चुकी है।
एक किलोमीटर दूर है बिजली
गांव के ही मुरारीलाल बताते हैं कि गांव से करीब एक किलोमीटर दूर तक बिजली है लेकिन उनके गांव में नहीं है। उनका गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। चुनाव के समय बड़े-बड़े वायदे करने के वाले नेता भी जीत के बाद वापस नहीं लौटे। खेती के चलते मजबूरी में गांव में रहना पड़ रहा है।
गांव के ही मुरारीलाल बताते हैं कि गांव से करीब एक किलोमीटर दूर तक बिजली है लेकिन उनके गांव में नहीं है। उनका गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। चुनाव के समय बड़े-बड़े वायदे करने के वाले नेता भी जीत के बाद वापस नहीं लौटे। खेती के चलते मजबूरी में गांव में रहना पड़ रहा है।
बिना बिजली गांव में शादी के भी पड़ते हैं लाले
गांव में बिजली न होने के कारण शादी के भी लाले पड़ जाते हैं। बिना बिजली के गांव में कोई शादी को जल्द ही तैयार नहीं होता। बुजुर्ग राजवीर सिंह बताते हैं कि शादी बचाने के लिए कई युवा अपनी पत्नी को लेकर पास के कस्बों में चले जाते हैं। अकेली बिजली ही गांव की बदहाली का कारण नहीं हैं। गांव का प्रवेश मार्ग ही बदहाल हालत में हैं। खेतों से होकर ही ग्रामीणों को गांव जाना पड़ता है।
गांव में बिजली न होने के कारण शादी के भी लाले पड़ जाते हैं। बिना बिजली के गांव में कोई शादी को जल्द ही तैयार नहीं होता। बुजुर्ग राजवीर सिंह बताते हैं कि शादी बचाने के लिए कई युवा अपनी पत्नी को लेकर पास के कस्बों में चले जाते हैं। अकेली बिजली ही गांव की बदहाली का कारण नहीं हैं। गांव का प्रवेश मार्ग ही बदहाल हालत में हैं। खेतों से होकर ही ग्रामीणों को गांव जाना पड़ता है।