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Once Upona A Time चमत्कारी है हिम्मतपुर वाली माताः नवरात्र में जरूर कीजिए दर्शन, देखें वीडियो

खास बातें— देवी ने सपने में आकर मंदिर बनाने की बात कही थीदेवी के कई चमत्कारों की कहानियां इलाके में प्रचलित हैंसाल में दो बार देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु आते हैं यहांफिरोजाबाद जिले की टूंडला तहसील के गांव हिम्मतपुर में है मंदिर

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फिरोजाबाद। फिरोजाबाद (Firozabad) जिले का इतिहास काफी पुराना है। यहां राजा, महाराजाओं की दास्तां छिपी है तो देवी—देवताओं के चमत्कार भी कम नहीं हुए हैं। नवरात्र (Navratri 2019) के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं फिरोजाबाद जिले के गांव हिम्मतपुर में स्थित देवी मां के मंदिर (Devi Temple) का इतिहास और उनके चमत्कारों के बारे में। इस माता के मंदिर से मुगलों के अत्याचार भी जुड़े हुए हैं। मुगल शासक ने इस देवी को बाहर ले जाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके थे।

करीब 200 साल पुराना है मंदिर
टूंडल विधानसभा क्षेत्र के गांव हिम्मतपुर के प्रधान यादवेन्द्र सिंह चौहान बताते हैं कि इस मंदिर का इतिहास करीब 200 वर्ष पुराना है। उस समय मुगलों का शासक था। इस मंदिर को बसाने वाले हमारे पूर्वज हैं। हमारे पूर्वज पहले फिरोजाबाद के चन्द्रवाड़ में रहा करते थे। वहां मुगल शासक मुहम्मद गौरी ने आक्रमण कर सबकुछ तहस नहस कर दिया था। वहां का किला नष्ट किए जाने के बाद पूर्वज इस क्षेत्र के गांव टूला में आ गए थे और यहां किला बनवाया था। यहां भी मुगल शासक ने आक्रमण कर किले को ध्वस्त कर दिया था। पूर्वजों के समय से ही यह देवी हैं। पूर्वज चन्द्रवाड़ से इस देवी को टूला गांव में लेकर आए। मुगल इन देवी को अपने साथ ले जाने का प्रयास करने लगे लेकिन देवी को गांव से बाहर नहीं ले जा सके।

पूर्वजों को दिया था सपना
टूला गांव में किला समाप्त होने के बाद हमारे पूर्वज जिनका नाम हिम्मत सिंह था, उन्होंने करीब एक किलोमीटर दूर हिम्मतपुर गांव बसाया। उन्हें ही देवी ने सपने में आकर मंदिर बनवाने की बात कही। इसी गांव में इन देवी का मंदिर स्थापित कराया। तब से लेकर आज तक इस मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित है। कई बार इस मंदिर में चमत्कार देखने को मिले। इस क्षेत्र की यह कुलदेवी हैं। मां के चमत्कार की कहानी दूर—दूर तक फैलने लगी और देश—विदेश से यहां श्रद्धालु आने लगे। इस गांव में कोई पिकनिक प्वाइंट नहीं है। यहां आस्थावान व्यक्ति मां के दर्शनों को आते हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि यहां चैत्र और शारदीय नवरात्रों में मेले का आयोजन किया जाता है।