
Dhan Teras
फिरोजाबाद। पांच दिवसीय दीपों के इस पर्व का आगाज सोमवार से हो जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
समुद्र मंथन में प्रकट हुए थे भगवान धन्वन्तरि
आचार्य मुकेश त्रिपाठी बताते हैं कि भगवान धन्वन्तरि समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुए थे। उस समय उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
बर्तन में लगाएं लक्ष्मी—गणेश को भोग
आचार्य ने बताया कि धनतेरस के दिन खरीदे गए नए बर्तन में सबसे पहले दीपावली के दिन लक्ष्मी—गणेश की पूजा के दौरान भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति कभी कंगाल नहीं होता। मां लक्ष्मी और भगवान धन्वन्तरि की कृपा उस पर बनी रहती है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है।
भगवान से करें ये प्रार्थना
धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समु्द्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
Published on:
04 Nov 2018 08:24 am
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